उत्तराखंड में सैकड़ों करोड़ रूपये के छात्रवृत्ति घोटाले की जांच नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर एसआईटी कर रही है.
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देहरादून: उत्तराखंड में छात्रवृत्ति घोटाले की जांच में आई अड़चन अब दूर हो सकती है. नैनीताल हाई कोर्ट ने अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों को नोटिस जारी कर शपथपत्र दाखिल करने के आदेश दिये हैं. कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुये ये आदेश दिये हैं. छात्रवृत्ति घोटाले में आरोपी गीताराम नौटियाल से जब एस आई टी ने पूछताछ करनी शुरू की तो उन्होंने उत्पीड़न का आरोप लगाते हुये अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग से गुहार लगाई. इसके बाद मामले में नौटियाल से पूछताछ नहीं हो सकी. इस मामले में समाज कल्याण विभाग के कई अधिकारी जांच के दायरे में है. एस आई टी जांच के बाद रिटायर्ड अधिकारी सहित कई कॉलेज संचालकों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है.
उत्तराखंड में सैकड़ों करोड़ रूपये के छात्रवृत्ति घोटाले की जांच नैनीताल हाई कोर्ट के आदेश पर एसआईटी कर रही है. इस मामले में समाज कल्याण विभाग के अधिकारी गीताराम नौटियाल से भी पूछताछ हुई. गीताराम नौटियाल को जब यह पता चला कि उनके ऊपर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है तो उन्होंने नैनीताल हाई कोर्ट से राहत की गुहार लगाई. हाई कोर्ट ने जब उनकी याचिका खारिज की तो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया. लेकिन यहां से भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली. इसके बाद गीताराम नौटियाल ने एस आई टी की शिकायत अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग से की. नौटियाल ने कहा कि उनका उत्पीड़न किया जा रहा है. आयोग ने नौटियाल की याचिका पर संज्ञान लेते हुए एस आई टी को उसकी हद में रहने की हिदायत दी. इसके बाद इस मामले में जांच आगे नहीं बढ़ सकी. लेकिन अब इस मामले में एक और याचिका दायर की गई. इस पर सुनवाई करते हुये नैनीताल हाई कोर्ट ने आयोग को शपथ पत्र दाखिल करने का आदेश दिया.
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गौरतलब है कि उत्तराखंड में समाज कल्याण विभाग अनुसूचित जाति-जनजाति के छात्र-छात्राओं को बड़े पैमाने पर छात्रवृत्ति उपलब्ध कराता है. उत्तराखंड के साथ-साथ केंद्र और सभी संबंधित राज्य अपने यहां के अनुसूचित जाति-जनजाति के छात्रों को छात्रवृत्ति देते हैं. लेकिन यहां पर कई कॉलेजों ने विभाग के अधिकारियों और बैंक के साथ मिलकर सैकड़ों करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति डकार ली. राज्य सरकार ने इस घोटाले की जांच शुरू की तो मामला काफी बड़ा लगा. इसके बाद मुख्यमंत्री ने इस पर एस आई टी बनाकर जांच शुरू कर दी. जांच ढीली पड़ती देख इस मामले को लेकर कुछ लोग नैनीताल हाई कोर्ट गये. कोर्ट ने एस आई टी को जांच को जारी रखते हुये उसकी प्रगति रिपोर्ट समय-समय पर प्रस्तुत करने के निर्देश दिये.
इस घोटाले के तार उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और जम्मू कश्मीर से भी जुड़े हुये हैं. उत्तराखंड के जिन अनुसूचित जाति-जनजाति के छात्रों ने राज्य में या राज्य से बाहर छात्रवृत्ति हासिल की या दूसरे राज्यों के छात्र-छात्राओं ने उत्तराखंड में छात्रवृत्ति हासिल की वो सभी जांच के दायरे में हैं. जानकारों का मानना है कि पिछले 10-12 साल में 500 करोड़ रूपये से ज्यादा की रकम गलत तरीके से ठिकाने लगाई गई.