ऐसा बताया जाता है कि नीम करौली बाबा (Neem Karoli Baba devotees tips) ने स्वयं कैंची धाम की प्रतिष्ठा के लिए 15 जून का दिन तय किया था. तभी से हर साल इस दिन कैंची धाम का स्थापना दिवस मनाया जाता है.
नीम करोली कैंची धाम आश्रम उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित है. यह नैनीताल जिला मुख्यालय से करीब 19 किलो मीटर दूर है. हर साल नीम करोली बाबा के कैंची धाम आश्रम में लाखों भक्त अपनी अर्जी लगाने आते हैं.
कैंची धाम स्थापना दिवस पर यहां भव्य मेला लगता है.जानकारी के मुताबिक इस बार 61वां स्थापना दिवस मनाया जा रहा है. बाबा के भक्त कैंची धाम आश्रम में अर्जी लगाने के बाद यहां लगने वाले मेले का भी आनंद लेते हैं. मेले का नजारा बहुत ही सुंदर और सुखद होता है.
नीम करोली कैंची धाम मंदिर में मालपुए के प्रसाद को भोग लगता है. बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है इसलिए प्रसाद का भी विशेष इंतजाम किया गया है. पहले 15 जून को ही मालपुए का प्रसाद मिलता है जिसकी वजह से बड़ी संख्या में श्रद्धालु बगैर प्रसाद के ही लौटने को मजूबर होते थे.
आयोजकों का अनुमान है कि कैंची धाम स्थापना दिवस यानी 15 जून को यहां 5 लाख से ज्यादा श्रद्धालु पहुंच सकते हैं. मेले आयोजकों के अलावा पुलिस और प्रशासन ने भी इतनी बड़ी संख्या में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए व्यापक प्रबंध किया है. पार्किंग और रूट डायवर्जन आदि का विशेष प्लान तैयार किया गया है, क्योंकि भारी भीड़ की वजह से जाम की समस्या बन जाती है.
भारी भीड़ या किसी अन्य कारण से अगर आप कैंचीधाम स्थापना दिवस में शामिल नहीं हो पा रहे हैं तो आपक घर बैठे भी नीम करोली बाबा को अपनी अर्जी लगा सकते हैं. आइये आपको बताते हैं आप यह कैसे कर सकते हैं.
कैंची धाम स्थापन दिवस के दिन आप स्नान आदि कर घर पर ही नीम करोली बाबा की तस्वीर को चौकी पर स्थापित करें. फिर नीम करोली बाबा का ध्यान लगाएं और सच्चे मन से उनके सामने अपनी इच्छा प्रकट करें. माना जाता है कि बाबा इस तरह से भी अर्जी लगाने से मुराद पूरी कर देते हैं और भक्तों को अपना आशीर्वाद देते हैं.
जैसा की आपको ऊपर बताया है कि नीम करोली बाबा को मालपुए का भोग बहुत प्रिय होता है, इसलिए आप शुद्धता के साथ घर पर ही मालपुए तैयार करें और फिर इनसे बाबा को भोग लगाएं.
मैं हूं बुद्धि मलीन अति श्रद्धा भक्ति विहीन। करू विनय कछु आपकी, होउ सब ही विधि दिन। कृपा सिंधु गुरुदेव प्रभु। करि लीजे स्वीकार। मैं हूँ बुद्धि मलिन अति, श्रद्धा भक्ति विहीन । करू विनय कछु आपकी, होउ सब ही विधि दीन।।
लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की जिम्मेदारी हमारी नहीं है.एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.