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नीम करोली बाबा का बुलेटप्रूफ कंबल, जिसपर गोलियां भी हो गईं बेसअर...कैंची धाम बाबा के इन रहस्‍यों को नहीं जानते होंगे आप

उत्‍तराखंड के नैनीताल में कैंची धाम वाले नीम करोली बाबा को कौन नहीं जानता. नीम करोली बाबा का नाम आते ही लोगों के मन में श्रद्धा उमड़ने लगती है. नीम करोली बाबा के चमत्‍कार के कई किस्‍से प्रचलित हैं.

नीम करोली बाबा का जीवन

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नीम करोली बाबा का जीवन

नीम करोली बाबा का जन्म यूपी के अकबरपुर में दुर्गा प्रसाद के घर पर हुआ था. उनका वास्तविक नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था. कहा जाता है कि नीम करोली बाबा को 17 साल की उम्र में ही ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी. 

11 साल की उम्र शादी हुई

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11 साल की उम्र शादी हुई

उनकी शादी 11 साल की उम्र में ही हो गई थी. नीम करोली बाबा को लक्ष्मण दास, हांडी वाले बाबा, तिकोनिया वाले बाबा और तलईया बाबा जैसे नामों से भी जाना जाता है.  

कैंची धाम आश्रम की स्‍थापना

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कैंची धाम आश्रम की स्‍थापना

शादी के बाद नीम करोली बाबा ने गृह का त्‍याग कर दिया था. हालांकि, बाद में वह फ‍िर से गृहस्‍थ जीवन में लौट आए थे.  भ्रमण करते हुए नीम करोली बाबा उत्‍तराखंड पहुंचे. यहां उन्‍होंने साल 1964 में कैंची धाम आश्रम की स्थापना की. 

हनुमान मंदिर का निर्माण करवाया

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हनुमान मंदिर का निर्माण करवाया

कैंची धाम में बाबा ने हनुमान मंदिर की थी स्थापना की थी. वह 1961 में पहली बार अपने मित्र के साथ यहां आए थे. नीम करोली बाबा ने 11 सितंबर 1973 को अपने प्राण त्याग दिए. वृंदावन में नीम करोली बाबा की समाधि मंदिर है.

'नीम करोली बाबा' नाम कैसे पड़ा?

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'नीम करोली बाबा' नाम कैसे पड़ा?

कहा जाता है कि एक बार नीम करोली बाबा ट्रेन में बिना टिकट यात्रा कर रहे थे. उनके पास टिकट नहीं था. टीईटी ने उन्‍हें अगले स्‍टेशन नीम करोली पर उतार दिया था. 

टीईटी ने माफी मांगी

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टीईटी ने माफी मांगी

कहा जाता है कि बाबा वहीं पर अपना चिमटा गाड़ दिया था. इसके बाद ट्रेन आगे नहीं बढ़ सकी. इसके बाद टीईटी ने बाबा से माफी मांगी थी. फ‍िर बाबा ने ट्रेन चलाने की अनुमति दी. 

स्‍टेशन बनवाने की शर्त रखी

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स्‍टेशन बनवाने की शर्त रखी

इस दौरान बाबा ने एक स्‍टेशन बनवाने की शर्त रखी. बाबा की बात मानकर वहीं पर नीम करोली नाम से स्‍टेशन बनाया गया. तभी से बाबा का नाम नीम करोली बाबा पड़ गया. 

कंबल को लेकर रहस्‍य

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कंबल को लेकर रहस्‍य

कहा जाता है कि एक बार बाबा एक बुजुर्ग दंपति के घर अचानक पहुंचे. और रात वहीं रुकने का फैसला किया. दंपति ने बाबा को भोजन करवाया और एक कंबल देकर आराम करने के लिए कहा. 

कंबल नदी में फेंकने को कहा

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कंबल नदी में फेंकने को कहा

कहा जाता है कि बाबा रात में कंबल में सोते समय कराहने लगे. अगली सुबह बाबा ने कंबल को नदी में बहाने को कहा दिया और फ‍िर वहां से चले गए. 

बेटे की जान बचाई

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बेटे की जान बचाई

कुछ दिनों बाद उस दंपति का बेटा लौटा. जो सेना में था. उसने बताया कि युद्ध के दौरान वह मुश्किल में फंस गया था. दुश्‍मन गोलियां चला रहे थे किसी अदृश्‍य शक्‍ति ने उसे बचा लिया. यह सुनकर माता-पिता समझ गए कि बाबा ने ही बेटे की जान बचाई है. 

कैसे पहुंचे कैंची धाम?

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कैसे पहुंचे कैंची धाम?

कैंची धाम आश्रम नैनीताल से लगभग 17 किलोमीटर दूर है. आप यहां ट्रेन, हवाई मार्ग और निजी वाहन से भी पहुंच सकते हैं. ट्रेन से पहुंचने के लिए आपको काठगोदाम रेलवे स्‍टेशन आना होगा. 

काठगोदाम रेलवे स्‍टेशन

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काठगोदाम रेलवे स्‍टेशन

यहां से टैक्‍सी से आप कैंची धाम आश्रम आसानी से पहुंच सकते हैं. काठगोदाम रेलवे स्‍टेशन कैंची धाम से करीब 38 किलोमीटर दूर है. 

हर साल 15 जून को लगता है मेला

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हर साल 15 जून को लगता है मेला

बता दें कि कैंची धाम की स्‍थापना दिवस हर साल 15 जून को मनाया जाता है. इस बार भी कैंची धाम में भव्‍य मेले की तैयारियां की जा रही हैं. मेले में लाखों की संख्‍या में भक्‍त पहुंचेंगे. 

बाबा के अनन्‍य भक्‍त

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बाबा के अनन्‍य भक्‍त

फेसबुक के संस्‍थापक मार्क जुकरबर्ग, एप्‍पल के पूर्व सीईओ स्‍टीव जॉब्‍स और भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली भी कैंची धाम जाकर नीम करोली बाबा के दर्शन कर चुके हैं. 

 

डिस्क्लेमर

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डिस्क्लेमर

लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की जिम्मेदारी हमारी नहीं है. जी यूपीयूके इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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