नैनीताल: ग्रामीणों की जागरूकता से कोरोना से अछूता बेल गांव, इस वजह से वैक्सीनेशन के लिए नहीं करा पा रहे रजिश्ट्रेशन
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नैनीताल: ग्रामीणों की जागरूकता से कोरोना से अछूता बेल गांव, इस वजह से वैक्सीनेशन के लिए नहीं करा पा रहे रजिश्ट्रेशन

  उत्तराखंड के गावों में भी कोरोना पांव पसारना शुरू कर दिया है. ऐसे में नैनीताल जिले का एक गांव ऐसा भी है, जहां पर कोविड-19 का एक भी मामला नहीं हैं.

नैनीताल: ग्रामीणों की जागरूकता से कोरोना से अछूता बेल गांव, इस वजह से वैक्सीनेशन के लिए नहीं करा पा रहे रजिश्ट्रेशन

विनोद कांडपाल\नैनीताल:  उत्तराखंड के गावों में भी कोरोना पांव पसारना शुरू कर दिया है. ऐसे में नैनीताल जिले का एक गांव ऐसा भी है, जहां पर कोविड-19 का एक भी मामला नहीं हैं. लेकिन, इस गांव की परेशानी कुछ ऐसी है जो हमारी सरकारों के तमाम दावों की पोल खोल कर रख देगी.

 ग्रामीण खुद नजर रख रहे आने जाने वालों पर 
हल्द्वानी से महज 25 से 30 किलोमीटर दूर बेल गांव है, जहां पर 60 से 70 परिवारों में 600 से 700 लोग रहते हैं. कोरोना को लेकर गांव वाले बेहद संजीदा हैं, गांव के बाहर नोटिस चस्पा किया है" बिना मास्क वालों का गांव में प्रवेश मना" गांव में आने जाने वाले लोगों पर ग्रामीणों की कड़ी नजर होती है. कई प्रवासी गांव लौटे तो ग्रामीणों ने उनको क्वारन्टीन कराया, इसी का नतीजा है की एक साल बाद भी कोरोना गांव से कोसों दूर है. 

रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाए ग्रामीण
गांव में मोबाइल नेटवर्क नहीं है, मेडिकल की कोई सुविधा भी नहीं है, कोई ग्रामीण बीमार पड़ जाए तो उसको फतेहपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या 25 किमी दूर हल्द्वानी लाना पड़ता है. अब सवाल यह है की जब मोबाइल में नेटवर्क नहीं तो वैक्सीनेशन के लिये ग्रामीण रजिस्ट्रेशन कैसे करें.

 गांव में मेडिकल सुविधा भी नहीं
ग्रामीण चाहते हैं वैक्सीन लगे लेकिन कैसे? गांव में आज तक कोई स्वास्थ अधिकारी नहीं पहुंचा, मीडिया को देखा तो थोड़ा आस जगी, प्रशासन की नींद टूटे तो कोई गांव पहुंचे, ग्रामीण खुद को इसलिए बेहतर मानते हैं की आज तक वे खुद के जागरूक होने से कोरोना संक्रमण से बचे हुए है.

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