UP Shikshamitra: यूपी में शिक्षामित्रों को सरकार की तरफ से कोई राहत न मिलने पर हाईकोर्ट ने योगी सरकार को निर्देश दिया है. इसी वजह से अब तक 20 हजार से अधिक शिक्षामित्र नौकरी छोड़ चुके हैं. आइए जानते हैं, क्या सरकार इसके बाद मानदेय बढ़ाने पर विचार करेगी?
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Shikshamitras Honorarium in UP: उत्तर प्रदेश के करीब 1.48 लाख शिक्षामित्र पिछले 8 साल से 10,000 रुपये प्रति माह के मानदेय पर काम कर रहे हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह उनके मानदेय बढ़ाने पर विचार करे. लेकिन, सरकार की तरफ से अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है.
शिक्षामित्रों की मांग और सरकार की स्थिति
2017 से 10,000 रुपये मानदेय पर शिक्षामित्र कार्यरत हैं.
वर्ष 2022-23 के बजट में मानदेय वृद्धि का प्रस्ताव रखा गया था, लेकिन आगे नहीं बढ़ा.
शिक्षामित्रों ने मानदेय वृद्धि की मांग को लेकर आंदोलन किए, लेकिन सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया.
फिलहाल मानदेय बढ़ाने पर कोई फैसला नहीं लिया गया है, जब मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) प्रस्ताव मांगेगा, तब ही फाइल दोबारा भेजी जाएगी.
हाईकोर्ट का आदेश और सरकार के पास विकल्प
हाईकोर्ट ने सिर्फ मानदेय बढ़ाने पर विचार करने को कहा है, लेकिन यह पूरी तरह से राज्य सरकार के विवेकाधिकार में है कि वह मानदेय बढ़ाए या नहीं.
सरकार के पास तीन विकल्प हैं
1. हाईकोर्ट में जवाब देकर समय मांग सकती है.
2. हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकती है.
3. मानदेय में 2,000 से 5,000 रुपये तक की बढ़ोतरी कर सकती है, लेकिन इसके चांस बहुत कम हैं.
क्या सरकार मानदेय बढ़ाएगी?
शासन के सूत्रों का मानना है कि सरकार विधानसभा चुनाव से पहले शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ा सकती है, ताकि इसका राजनीतिक लाभ मिल सके.
शिक्षामित्रों की भूमिका और न्यूनतम मजदूरी से तुलना
शिक्षामित्रों के कारण प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में शिक्षक-छात्र अनुपात संतुलित है.
2017 में न्यूनतम मजदूरी 176 रुपये प्रतिदिन थी, जो 2024 में बढ़कर 1035 रुपये प्रतिदिन हो गई है.
प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय 2016-17 में 52,671 रुपये थी, जो 2023-24 में 93,514 रुपये हो गई है.
लेकिन शिक्षामित्रों का मानदेय 2017 से एक रुपये भी नहीं बढ़ा.
क्या शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ेगा?
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले सरकार मानदेय में कुछ बढ़ोतरी कर सकती है. फिलहाल, शिक्षामित्रों को उम्मीद है कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद सरकार उनकी मांगों पर विचार करेगी.