न्यूयॉर्क-लंदन जैसा होगा नोएडा का ट्रैफिक सिस्टम, प्रशासन करने जा रहा ये खास काम
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न्यूयॉर्क-लंदन जैसा होगा नोएडा का ट्रैफिक सिस्टम, प्रशासन करने जा रहा ये खास काम

नोएडा शहर का ट्रैफिक सिस्टम न्यूयॉर्क और लंदन जैसे अंतरराष्ट्रीय शहरों जैसा बनाने की कवायद की जा रही है. इसके लिए नोएडा विकास प्राधिकरण (Noida Development Authority) ने तेजी से काम शुरू कर दिया है. 

न्यूयॉर्क-लंदन जैसा होगा नोएडा का ट्रैफिक सिस्टम, प्रशासन करने जा रहा ये खास काम

पवन त्रिपाठी/  गौतमबुद्ध नगर: नोएडा शहर के लोगों के लिए बड़ी खबर है. शहर की यातायात व्यवस्था बेहद अत्याधुनिक और आरामदायक होने वाली है.  नोएडा शहर का ट्रैफिक सिस्टम न्यूयॉर्क और लंदन जैसे अंतरराष्ट्रीय शहरों जैसा बनाने की कवायद की जा रही है. इसके लिए नोएडा विकास प्राधिकरण (Noida Development Authority) ने तेजी से काम शुरू कर दिया है. प्राधिकरण ट्रैफिक पुलिस की सहायता के लिए इस परियोजना पर काम कर रहा है. जिस पर 88.45 करोड रुपए खर्च किए जाएंगे. स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत इंटेलीजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (Intelligent Traffic Management System) लागू किया जा रहा है.

नोएडा की मुख्य कार्यपालक अधिकारी ऋतु माहेश्वरी ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के तहत नोएडा प्राधिकरण शहर के 84 चौराहों पर आईटीएमएस लागू कर रहा है. इन चौराहों पर 1065 सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे. प्रोजेक्ट के लिए एजेंसी का चयन कर लिया गया है. कंपनी केवल 64.49 करोड रुपए में यह काम करेगी. यह ठेका एफकॉन इंडिया लिमिटेड को दिया गया है. कंपनी स्मार्ट सिटी परियोजना के अंतर्गत देश के कई शहरों में इस तरह का सिस्टम विकसित कर रही है.

शहर के ट्रैफिक सिस्टम में यह 8 खूबियां होंगी.

1. एडेप्टिव ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम :
 शहर के 40 सर्वाधिक व्यस्ततम चौराहों पर यह सिस्टम लगाया जाएगा. इसकी खासियत यह है कि ट्रैफिक लाइट का कंट्रोल यातायात घनत्व के अनुसार खुद-ब-खुद बदलता रहता है. मतलब, अगर चौराहे पर ज्यादा संख्या में वाहन खड़े हैं तो ज्यादा समय तक ग्रीनलाइट रहेगी. वाहनों की संख्या कम हो जाएगी तो ग्रीनलाइट का समय भी स्वतः घट जाएगा. इससे चौराहे के चारों रास्तों पर वाहनों का आवागमन नियंत्रित रहेगा.

2.स्पीड डिटेक्शन सिस्टम : 
नोएडा शहर में सबसे ज्यादा यातायात नियमों की अनदेखी की जाती है. इनमें ओवरस्पीड के मामले सबसे ज्यादा होते हैं. शहर में 18 स्थानों पर यह व्यवस्था लागू होगी. इसका फायदा यह होगा कि वाहनों की गति निर्धारित सीमा से अधिक होने पर यह सिस्टम स्वतः चालान काट देगा. इसके लिए पुलिसकर्मियों को निगरानी करने की आवश्यकता नहीं रह जाएगी.

3.वैरिएबल मैसेज साइनबोर्ड :
शहर में 22 स्थानों पर इस तरह के साइनबोर्ड लगाए जाएंगे. ये बोर्ड सामान्य समय में ट्रैफिक की जानकारी देंगे. साथ ही दिशा सूचक के रूप में काम करेंगे. इसके अलावा मौसम खराब होने, धुंध, कोहरा या दृश्यता कम होने की जानकारी भी इन बोर्ड पर डिस्प्ले होती रहेगी. इसके अलावा विकास प्राधिकरण, पुलिस या प्रशासन कोई विशेष सूचना नागरिकों को देना चाहते हैं तो वह सूचनाएं भी इन बोर्ड पर डिस्प्ले की जा सकती हैं.

4. एएनपीआर कैमरा 
इसे ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन कैमरा (ANPR Camera) कहा जाता है. यह कैमरा शहर में 693 पॉइंट पर लगाए जाएंगे. इन कैमरे की मदद से स्वतः वाहनों की नंबर प्लेट पढ़कर चालान की कार्रवाई की जा सकती है. मतलब, इंटेलीजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम के कंट्रोल रूम में बैठे पुलिसकर्मी शहर की सड़कों पर नजर रखेंगे. जरूरत पड़ने पर इन कैमरों की मदद से चालान काट सकते हैं.

5.आरएलवीडी कैमरा
इसे रेड लाइट वायलेशन डिटेक्शन कैमरा (RLVD Camera) कहा जाता है. चौराहों पर रेड लाइट जंप करना लोग मामूली बात समझते हैं. जिससे हादसे बढ़ते हैं और यातायात पर दुष्प्रभाव पड़ता है. इन कैमरे की मदद से रेड लाइट नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहनों को पकड़ा जा सकता है. ऐसे वाहनों का यह कैमरे खुद ही चालान काट देते हैं.

6. सर्विलांस कैमरा :
यह कैमरा अपराध और अपराधियों पर लगाम लगाने में सबसे ज्यादा मदद करेगा. शहर में 354 पॉइंट पर यह कैमरे इंस्टॉल किए जाएंगे. दरअसल, इन कैमरों की मदद से व्यक्तियों की पहचान की जाती है. यह कैमरे लोगों के चेहरों पर खासतौर से फोकस करते हैं. कोई अपराध होने के बाद उससे संबंधित लोगों की पहचान पुलिस बेहद आसानी से कर सकती है. अपराधियों को पकड़ने में इन कैमरों से पुलिस को बड़ी मदद मिलेगी.

7. पीए सिस्टम (पब्लिक एड्रेस सिस्टम)
यह पब्लिक ऐड्रेस सिस्टम है. पूरे नोएडा शहर में 82 स्थानों पर पब्लिक ऐड्रेस सिस्टम लगाए जाएंगे. पुलिसकर्मी आईटीएमएस कंट्रोल रूम से ही पूरे शहर में कोई भी उद्घोषणा कर सकते हैं. आपातकालीन परिस्थितियों में लोगों को सूचना दे सकते हैं. इसके अलावा शहर से जुड़ी कोई भी जानकारी तत्काल प्रसारित की जा सकती है. किसी विशेष स्थान पर ट्रैफिक जाम लगने या कानून व्यवस्था से जुड़ी कोई परिस्थिति उत्पन्न होने पर पुलिस आम आदमी को चेतावनी दे सकती हैं. यातायात नियमों का पालन करने, चोर उचक्के और ठगों से सावधान रहने के बारे में प्रसारण किया जा सकता है.

8. कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम 
इन सारे सिस्टम पर निगरानी रखने के लिए और शहर के सभी चौराहों का लाइल प्रसारण देखने के लिए कमांड एंड कंट्रोल सेंटर स्थापित किया जाएगा. यहां पूरे शहर से आने वाली सूचनाओं का केंद्रीकरण होगा. कंट्रोल सेंटर में ट्रैफिक और नागरिक पुलिस कर्मियों की नियुक्ति की जाएगी, जो नियमित रूप से पूरे ट्रैफिक सिस्टम पर निगरानी रखेंगे.

कंपनी 9 महीने में काम पूरा करेगी, 5 साल तक रखरखाव
नोएडा प्राधिकरण की मुख्य कार्यपालक अधिकारी ऋतु महेश्वरी ने बताया कि कंपनी अगले 9 महीने में इस पूरी व्यवस्था को विकसित करके देगी. अगले 5 वर्षों तक इस व्यवस्था का रखरखाव करने की जिम्मेदारी भी इस कंपनी के पास ही होगी. इस दौरान किसी भी तरह की तकनीकी या इंफ्रास्ट्रक्चरल समस्या का निदान कंपनी को ही करना होगा. इसके लिए कंपनी को विकास प्राधिकरण अलग से किसी भी तरह का भुगतान नहीं करेगा. सीईओ ने बताया कि परियोजना का संचालन सेक्टर-94 वाले कंट्रोल रूम से किया जाएगा. इसी कंट्रोल रूम में पुलिस कंट्रोल रूम और ट्रैफिक कंट्रोल रूम के बीच समन्वय स्थापित होगा.

इस प्रोजेक्ट को परवान चढ़ने में 12 वर्ष का समय लगा
इंटेलीजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम की परिकल्पना वर्ष 2008 में की गई थी. तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी सरदार मोहिंदर सिंह ने यह परियोजना पेश की थी. इसके लिए बाकायदा प्राधिकरण के बोर्ड में प्रस्ताव भी पास करवा लिया गया था, लेकिन पिछले 12 वर्षों से यह प्रोजेक्ट फाइलों में ही इधर से उधर घूम रहा था. अब इस परियोजना पर मुख्य कार्यपालक अधिकारी ऋतु महेश्वरी ने तेजी से प्रयास किए. जिसके परिणाम स्वरूप 12 साल बाद इस प्रोजेक्ट का टेंडर निकाला जा सका है.

बड़ी बात यह है कि शहर में सुरक्षा व्यवस्था और ट्रैफिक सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए बेहद जरूरी सिस्टम है. लेकिन पिछले 12 वर्षों के दौरान प्राधिकरण में तैनात रहे अफसरों की प्राथमिकता में यह परियोजना नहीं रही. जिसकी वजह से शहर के लोगों को लगातार परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. अब उम्मीद है कि अगले 9 महीने में यह सिस्टम काम करना शुरू कर देगा. जिससे शहर की पुलिसिंग और ट्रैफिक मैनेजमेंट अंतरराष्ट्रीय स्तर का हो जाएंगे.

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