Adi Kailash Yatra 2025: शिवभक्तों के लिए एक जरूरी खबर हैं. उत्तराखंड में मई आध्यात्मिक दृष्टिकोण से काफी अहम रहने वाला है. इसी महीने में चारधाम में शुमार केदारनाथ और बदरीनाथ धाम के साथ ही हेमकुंड साबिह के भी कपाट खुलेंगे.
इसके अलावा आदि कैलाश और ओम पर्वत की यात्रा भी इसी महीने शुरू हो रही है. जो श्रद्धालु आदि कैलाश के दर्शन करना चाहते हैं, वो अपनी तैयारी शुरू कर सकते हैं. इस यात्रा से जुड़ी कुछ जानकारी से भी आपको रूबरू करवाते हैं.
14 मई को आधिकारिक रूप से आदि कैलाश यात्रा 2025 की शुरुआत होगी. आदि कैलाश जाने के लिए इनर लाइन परमिट की जरूरत पड़ती है. ऐसे में 2 मई से इनर लाइन परमिट बनने शुरू हो जाएंगे. परमिट बनने के बाद ही श्रद्धालु इस यात्रा पर जा सकते हैं.
वहीं, कैलाश मानसरोवर यात्रा 30 जून से शुरू होगी. हालांकि, यात्रा का शेड्यूल आना अभी बाकी है, लेकिन प्रशासनिक तैयारियां जोरों पर है. इस यात्रा को देखते हुए KMVN और अन्य सभी संबंधित अधिकारियों की बैठक की हुई.
इस यात्रा को सकुशल और सुरक्षित रूप से पूरी करने के लिए सभी अधिकारियों को तमाम इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं. इस बार यह यात्रा टनकपुर से शुरू होगी, जो टनकपुर- चंपावत- घाट- पिथौरागढ़-धारचूला- गुंजी होते हुए नाभिढांग में प्रवेश करेगी.
इस यात्रा को देखते हुए सबसे पहले रूट को दुरुस्त करने की व्यवस्था की जा रही हैं. इसके अलावा KMVN के सभी टूरिस्ट रेस्ट हाउस में मूलभूत सुविधा और वायरलेस कम्युनिकेशन को भी दुरुस्त रखने के निर्देश दिए गए हैं. इसके अलावा श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए हर पड़ाव पर डॉक्टर्स की तैनाती के निर्देश दिए गए हैं.
आदि कैलाश और ओम पर्वत पिथौरागढ़ जिले में भारत-चीन सीमा पर स्थित है. लिहाजा, यह क्षेत्र सामरिक दृष्टिकोण से काफी अहम है. इसलिए यहां पर आईटीबीपी और सेना के जवान हमेशा तैनात रहते हैं. यह क्षेत्र काफी ऊंचाई पर है. ऐसे में यहां स्वास्थ्य संबंधी ध्यान रखना बेहद जरूरी है.
जो भी श्रद्धालु आदि कैलाश यात्रा पर जाना चाहते हैं, उन्हें अपना हेल्थ चेकअप करना जरूरी होगा. साथ ही तमाम कागजातों का भी सत्यापन कराना होगा. जो भी श्रद्धालु आदि कैलाश यात्रा पर जाएगा, उसका पूरा ब्यौरा जिला प्रशासन के पास रहेगा. इसके अलावा श्रद्धालुओं के रहने खाने की व्यवस्था भी चाक चौबंद किया जा रहा है.
आदि कैलाश की खासियत यह है कि इस पर्वत पर ओम की आकृति बनी हुई है. जैसे ही पर्वत पर बर्फबारी गिरती है तो वो ओम (ऊं) का आकार ले लेती है. कहा जाता है 8 कैलाशों में से एक इसी आदि कैलाश की खोज हो पाई है. अन्य सात आदि कैलाश पर्वत कहां हैं इस बात की किसी को कोई जानकारी नहीं है.
मान्यता है कि जब इस पर्वत पर बर्फबारी होती है तब बर्फबारी की आवाज ओम (ऊं) की ध्वनि में श्रद्धालुओं को सुनाई देती है. आदि अनादि काल में यहां पर ऋषि मन ने तप किया था. आज भी भगवान शिव का पूरा परिवार जिसमें पार्वती, गणेश और कार्तिकेय यहां एक साथ निवास करते हैं. यहां पहुंचने के बाद आपको ऐसा प्रतीत होता है मानव संसार में आप जो कुछ भी खोज रहे थे वो सब कुछ यहीं है.
आदि कैलाश, कैलाश मानसरोवर के समान ही खूबसूरत है. यहां का लैंडस्कैप, खूबसूरत नजारें, बर्फ से ढके पहाड़ इसकी सुंरदरता को चार चांद लगाते हैं. कैलाश मानसरोवर के यात्री इसी रास्ते से होकर गुजरते हैं. यहां पहुंचने के लिए पिथौरागढ़ के सीमांत इलाके धारचूला से सफर की शुरुआत होती है, जिसके बाद आप तवाघाट पहुंचते हैं. यहां से आदि कैलाश के लिए ट्रैकिंग शुरू होती है.