Mirch ki Kheti: फिरोजाबाद में हरी मिर्च किसानों के जीवन में मिठास घोलने का काम कर रही है. पिछले कई वर्षों से लगातार मिल रही सही कीमतों का परिणाम है कि नारखी ब्लाक के साथ-साथ टूंडला एवं हाथवंत ब्लाक के भी किसानों ने मिर्च की फसल करनी शुरू कर दी है. (प्रेमेंद्र कुमार की रिपोर्ट).
कभी गेहूं मक्का,बाजरा की फसल उगाने वाले नारखी क्षेत्र के किसानों के लिए मिर्च की फसल वरदान साबित हो रही है. पांच से दस बीघा मिर्च की फसल बोने वाले किसानों ने अब कोई 50 से 60 बीघा तो कोई 120 बीघा तक मिर्च की फसल बोने लगे हैं. किसानों की मिर्च की फसल के प्रति बढ़ी रुचि का परिणाम है वर्तमान में देश की प्रमुख मंडियों में नारखी क्षेत्र की मिर्च की अलग से पहचान बन गई है.
अब किसान शिमला,अचारी एवं पतली सुइया प्रजाति की मिर्च करने लगे हैं. देश के विभिन्न हिस्सों से भी इस क्षेत्र में बड़े व्यापारी सीधे मिर्च की खरीदारी करने के लिए आना शुरू हो गए हैं. इसके बाद किसान मिर्च की फसल से जुड़ते गए. आज नारखी क्षेत्र में करीब 10 हजार हेक्टेयर में मिर्च की फसल की बुवाई किसान करते हैं. नारखी क्षेत्र के किसानों के लाभ को देखते हुए टूंडला ब्लाक के साथ-साथ हाथवंत ब्लाक के किसान भी मिर्च की फसल बोने की तैयारी कर रहे हैं. इस बार दो हजार हेक्टेयर रकवा बढ़ने की उम्मीद है.
नारखी ताल्लुका निवासी रामवीर सिंह निराला ने मिर्च का उत्पादन करने की शुरूआत 1987 में की थी. रामवीर की मानें तो वह सिरसागंज के कैरावली निवासी किसान रिहायत अली से मिर्च का बीज लेकर आए थे. उनको अपने साथ गांव में लाकर मिर्च की फसल की रोपाई कराई थी.उसकी बिक्री की तो करीब साठ हजार का लाभ हुआ था. उस समय साठ हजार रुपया बहुत होता था. इसके साथ क्षेत्र के किसान जुड़ते चले गए.
नारखी क्षेत्र की मिर्च की कानपुर की चकरपुर,लखनऊ,मध्य प्रदेश की ग्वालियर,भोपाल,कटनी,शिवपुरी के साथ कोलकाता की मंडियों के साथ देश की राजधानी दिल्ली की आजादपुर मंडी,राजस्थान के जयपुर की कुहाना, सीकर,चोमू, चंड़ीगढ़ की मोहाली आदि मंडियों से व्यापारी आते हैं.
पहले गेहूं,बाजरा एवं आलू की फसल पर ज्यादा जोर रहता है लेकिन मिर्च की फसल का भाव ठीक मिलने का परिणाम है कि इस बार टूंडला,हाथवंत के किसानों ने मिर्चकी फसल करने का फैसला लिया है. इसके कारण काफी रकवा बढ़ेगा.
नए किसान नया प्रयोग कर रहे हैं इससे उनको लाभ हो रहा है. किसानों के मुताबिक मिर्च की खेती में प्रति बीघा लागत लगभग 5 से 6 हजार रूपय आती है। एक बीघा खेत से 10 से 12 कुंतल मिर्च का उत्पादन होता है। अगर मिर्च को अच्छे दाम पर बेचा जाए, तो किसान को प्रति बीघा 35 से 40 हजार रुपए तक की कमाई हो सकती है।