संभल पुलिस का कहना है कि ये मेला सैयद सालार मसूद गाजी की याद में होता था, ये कुरीति थी, अब इस कुरीति को आगे नहीं चलना दिया जाएगा.
ये कहीं से भी ठीक नहीं है, क्योंकि एक लुटेरे और हत्यारे के नाम पर मेला नहीं हो सकता है. इन तर्कों के आधार पर पुलिस ने तीन दिवसीय मेले की अनुमति देने से इनकार कर दिया है. मेले के आयोजकों में रोष है. तो आइये जानते हैं कौन था मसूद गाजी?
महमूद गजनवी की दुनिया के सबसे क्रूर शासकों में गिनती होती है. महमूद गजनवी ने ही गुजरात के सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण कर लूटपाट की थी. इतना ही नहीं शिवलिंग को भी खंडित कर दिया था.
इतिहासकारों के मुताबिक, महमूद गजनवी यहां से 20 मिलियन दीनार लूटकर ले गया था. साल 1026 में भीम प्रथम के शासन के दौर में महमूद गजनवी ने सोमनाथ मंदिर पर हमला बोला था. तब सैयद सालार मसूद गाजी महमूद गजनवी का भांजा था और सेनापति भी.
कहा जाता है कि मसूद गाजी ने कई हिंदुओं मंदिरों को लूटा. इतना ही नहीं जबरन हिंदुओं का धर्म परिवर्तन भी कराया. उसके रास्ते में जो भी रियासत आई उसे खत्म करते हुए कत्लेआम मचाया.
मसूद गाजी हिन्दुस्तान में हमले करते हुए 1033 ई. में उत्तर प्रदेश के बहराइच पहुंचा. उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में उसने राजाओं को लूट मचाने की कोशिश की.
इसी समय उसका सामना श्रावस्ती के महाराजा सुहेलदेव राजभर से हुआ. उन्होंने उस दौर के 21 राजाओं के साथ मिलकर एक संयुक्त सेना तैयार की. सैयद सालार और राजाओं की संयुक्त सेना के बीच भीषण जंग हुई. महाराजा सुहेलदेव ने सालार को करारी शिकस्त दी.
जंग में मौत के बाद उसकी सेना ने बहराइच में ही उसे दफनाया. यहीं सैयद सालार मसूद गाजी की कब्र है. दिल्ली के मुस्लिम सुल्तानों के शासन के दौरान में उसकी कब्र को दरगाह का रूप दिया गया. बाद में मेला लगने लगा. अब इसी को लेकर विवाद शुरू हो गया है. संभल में तीन दिवसीय मेले की अनुमति नहीं दी गई है.
लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि स्वयं करें. एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.