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लॉकडाउन के दौरान दुर्घटना में घायल और मारे गए प्रवासी मजदूरों के परिजनों को मुआवजा देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर हुई है. याचिका में घायल और बीमार प्रवासी मजदूरों को जो जहां है, उनके लिए वहीं इलाज की व्यवस्था करने के लिए सरकारों और संबंधित विभागों को दिशानिर्देश जारी करने की मांग भी की गई है. सुप्रीम कोर्ट के वकील रीपक कंसल ने जनहित याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि कोर्ट मृतक और घायल अप्रवासी मजदूरों को मुआवजा देने के लिए केंद्र सरकार और सम्बंधित विभागों को निर्देश जारी करे.
याचिका में क्या कहा गया ?
याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने अप्रवासी मजदूरों की मौत के कुछ मामलों में जिसे मीडिया सुर्खियों में लेकर आई, उसमें तो मुआवजा दिया है लेकिन बाकी मामलों में कोई मुआवजा नहीं दिया गया है. याचिका में प्रवासी मजदूरों के सामाजिक सुरक्षा को लेकर सवाल उठाते हुए कहा गया है कि प्रवासी मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा नामक कोई चीज नहीं है. हर जगह इनका शोषण हो रहा है, इनको प्रताड़ित किया जा रहा है. प्रवासी मजदूरों के पास न खाने के लिए है न रहने की व्यवस्था है जो उनके लिए कोरोना महामारी से ज्यादा घातक है.
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मुआवजे के लिए दिशा निर्देश जारी करने की मांग
याचिका में मांग की गई है कि प्रवासी मजदूरों को पुलिस की प्रताड़ना और अन्य एजेंसियों की प्रताड़ना से बचाने के लिए दिशानिर्देश जारी किए जाने की जरूरत है. याचिका में कहा गया है कि मुआवजा के मामले में मनमाने ढंग से किसी मामले में दिया जा रहा है, किसी में नहीं दिया जा रहा है. याचिका में यह भी कहा गया है कि अप्रवासी मजदूरों को वापस बुलाए जाने की 'वंदे भारत' मिशन में भी भेदभाव किया जा रहा है.
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