बनाना फाइबर के काम मे लगी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को 400 से ₹500 तक का प्रतिदिन मुनाफा होना शुरू हो गया है.
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दिलीप मिश्रा/ लखीमपुर खीरी: एक तरफ जहां कोरोना के चलते जिंदगी की रफ्तार थम सी गई है. वहीं, दूसरी तरफ सरकार और जिला प्रशासन के प्रयासों से जिले में रोजगार दिलाने के मकसद से 'वेस्ट टू वेल्थ' के तहत स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को रोजगार दिलाने और उनके उन्न्यन को लेकर सीडीओ अरविंद कुमार के नेतृत्व में काम शुरू किए गया और बेहद कम लागत से केले के तने से बनाना फाइबर की परिकल्पना पर काम शुरू किया गया. जिसकी गूंज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम में सुनाई पड़ी.
केले के तने से बनाया जा रहा हैंडबैग
लखीमपुर खीरी के ईसानगर ब्लाक में केले की खेती का चलन काफी तेजी से बढ़ा है, जिसके चलते किसानों द्वारा केले के तने को लेकर सिर दर्द बना रहता था और उन्हें इसे खेत से हटवाने के लिए काफी पैसा लेबर और ट्रांसपोर्ट के लिए खर्च करना पड़ता था. जिला प्रशासन ने स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के साथ मिलकर इस कचरे रूपी तने का उपयोग कर उसके रेशे बनाने के लिए काम शुरू किया. इस रेशे से हैंडबैग ,दरी ,चटाई आदि बनाई जाने लगी.
रोजाना कमा रही है इतने पैसे
धीरे धीरे इस काम ने रफ्तार पकड़ी और बनाना फाइबर के काम मे लगी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को 400 से ₹500 तक का प्रतिदिन मुनाफा होना शुरू हो गया. आम के आम गुठलियों के दाम की तर्ज पर केले की खेती करने वाले किसान जिन्हें बेकार मटेरियल को खेत से हटाने के लिए हजारों रुपए खर्च करने पड़ते थे. अब उन्हें उनके खेत के बेकार पड़ा केले का तना जिसका इस्तेमाल आसानी से किया जा रहा है.
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प्रशासन ने बाजार की व्यवस्था
मुख्य विकास अधिकारी अरविंद कुमार ने इन महिला समूह द्वारा तैयार किए गए मटेरियल के लिए बाजारों की भी व्यवस्था कर दी है, जिससे इनका माल आसानी से बिक जा रहा है. प्रसाशन के इस प्रयास से जहां महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है. वहीं, वेस्ट टो वेल्थ की परिकल्पना को भी साकार किया जा रहा है.
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