गंगा के साथ-साथ उसकी सहायक नदी वरुणा और गोमती भी उफान पर है. वरुणा के जलस्तर में हुई वृद्धि के वजह से वरुणा नदी के किनारे रहने वाले लोगों के घरों में पानी आ गया है.
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वाराणसी: पहाड़ों पर में लगातार बारिश की वजह से गंगा नदी पर बने वैराज के कई फाटक खोल दिया है, जिसकी वजह गंगा का जलस्तर मैदानी क्षेत्रों में लगातार बढ़ता जा रहा है. आलम यह है कि वाराणसी में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान कुछ ही मीटर नीचे है.
गंगा के साथ-साथ उसकी सहायक नदी वरुणा और गोमती भी उफान पर है. वरुणा के जलस्तर में हुई वृद्धि के वजह से वरुणा नदी के किनारे रहने वाले लोगों के घरों में पानी आ गया है, जिसके वजह से लोग पलायन करने के लिए मजबूर हो गए हैं.
वाराणसी में वरुणा किनारे लगभग एक दर्जन इलाको सरैया, कोनिया, जलालीपुरा, नक्की घाट, शैलपुत्री, सिधवा घाट, पुराना पुल, शकरा तालाब के साथ कई इलाको में वरुणा का पानी घरों में घुस गया है, जिसके चलते इन बुनकर बाहुल इलाकों में लगे करघे और साड़ी बुनने वाले पावर लुमो को बाढ़ के पानी ने अपनी जद में ले लिया है.
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करघों और लुमो में पानी घुस जाने से बुनकरों के करघे शांत हो गए हैं और उनके आगे रोजी रोटी की समस्या भी खड़ी हो गई है. बुनकरों की शिकायत है कि पहले तो बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए अस्थायी आश्रय घर, स्कूलों और मदरसों में प्रशासन खोलता था, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है. लिहाजा रोजी के साथ ही बसेरे की भी दिक्कत आ गई है. वरुणा किनारे बसे हजारो बुनकर और गरीब परिवारों के लोगों में से सैकड़ों की तादात में लोग पलायन कर चुके है और पानी बढ़ने से अभी भी इनका पलायन जारी है.