Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने जस्टिस यशवंत वर्मा की वापसी का विरोध करना शुरू कर दिया है. इसको लेकर बार एसोसिएशन का कहना है कि हम कोई कूडादान नहीं हैं. आइए जानते हैं इसके पीछे क्या कारण है?
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Allahabad High Court News: इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (HCBA) ने जस्टिस यशवंत वर्मा की इलाहाबाद हाईकोर्ट में पुनः तैनाती के फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है. एसोसिएशन ने कहा है कि हम कोई कूड़ेदान नहीं हैं और भ्रष्टाचार किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
जस्टिस वर्मा के आवास से नकदी बरामदगी का मामला
यह विवाद तब शुरू हुआ जब दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर आग लगने के बाद वहां से लगभग 15 करोड़ रुपये की नकदी बरामद हुई. इस घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उन्हें दिल्ली से इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया.
बार एसोसिएशन की नाराजगी और आगामी बैठक
बार एसोसिएशन ने इस फैसले पर नाराजगी जताते हुए कहा कि इस तरह की नियुक्ति न्यायपालिका की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करती है. उन्होंने न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए हैं और न्यायपालिका में भ्रष्टाचार को लेकर चिंता व्यक्त की है. इस मुद्दे पर चर्चा के लिए एसोसिएशन ने सोमवार 24 मार्च को दोपहर 1:15 बजे लाइब्रेरी हॉल में जनरल बॉडी की बैठक बुलाई है.
कौन हैं यशवंत वर्मा
यशवंत वर्मा इन दिनों पूरे देश में चर्चा का केंद्र बने हुए हैं. हाल ही में उनके घर से 15 करोड़ रुपये की बरामदगी ने सभी को चौंका दिया है. रिपोर्ट्स के अनुसार, उनका जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (प्रयागराज) में हुआ था. उन्होंने दिल्ली के हंसराज कॉलेज से बी.कॉम (ऑनर्स) किया और फिर रीवा विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री प्राप्त की. 8 अगस्त 1992 को उन्होंने वकालत के पेशे में कदम रखा.
वर्मा वर्ष 2006 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में विशेष अधिवक्ता नियुक्त हुए. इसके बाद 2012-13 में वे उत्तर प्रदेश के मुख्य स्थायी अधिवक्ता (Chief Standing Counsel) बने। अगस्त 2013 में सीनियर एडवोकेट का दर्जा हासिल किया. 13 अक्टूबर 2014 को वे इलाहाबाद हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश बने और 1 फरवरी 2016 को उन्हें स्थायी जज नियुक्त किया गया। 11 अक्टूबर 2021 को उनका तबादला दिल्ली हाईकोर्ट में कर दिया गया था.
महत्वपूर्ण फैसले
यशवंत वर्मा कई महत्वपूर्ण मामलों पर फैसले दे चुके हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार, दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ चल रही कानूनी कार्रवाई को बंद करने का आदेश उन्होंने ही दिया था. इसके अलावा, नवंबर 2022 में दिल्ली शराब नीति घोटाले की जांच कर रही CBI और प्रवर्तन निदेशालय (ED) को निर्देश दिया था कि वे अपनी जांच से संबंधित आधिकारिक प्रेस विज्ञप्तियां और मीडिया बयान सार्वजनिक करें.
जांच और ट्रांसफर की सिफारिश
दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को रिपोर्ट सौंपने की तैयारी कर ली है. अगर प्रारंभिक जांच में आरोप गंभीर और वास्तविक पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ इन-हाउस कमेटी द्वारा आगे की कार्रवाई की जा सकती है.
इससे पहले, भारत के मुख्य न्यायाधीश संजय खन्ना की अध्यक्षता में हुई सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की बैठक में यशवंत वर्मा के खिलाफ आई नकारात्मक रिपोर्ट पर चर्चा हुई. केंद्र सरकार को उनके मूल कार्यक्षेत्र इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थानांतरण की सिफारिश भी की गई है.