मो.गुफरान/प्रयागराज: आज के डिजिटल युग में हर काम आसान लगता है. लेकिन कभी-कभी ये डिजिटलाइजेशन हमारे लिए मुसीबत बन जाता है. इन्हीं तकनीकों का प्रयोग कर अपराधी गलत काम भी कर रहे हैं. ऐसा ही कुछ मामला यूपी के प्रयागराज से सामने आया है. साइबर ठगों ने एक महिला को 1 करोड़ 48 लाख रुपये का चूना लगाया था. इन शातिर ठगों ने महिला को तीन दिन डिजीटल अरेस्ट करके रखा. महिला ने मामले में एफआईआर जॉर्ज टाउन थाने में दर्ज कराई. पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और इस गिरोह का पर्दाफाश किया. इस गिरोह के चार सदस्यों को पुलिस ने गिरफ्तार किया.


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1 करोड 48 लाख की ठगी के आरोपी गिरफ्तार
साइबर थाने की पुलिस ने 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. नितलेश कुमार (शाहजहांपुर) राजेश कुमार (नोएडा), चेतन कुमार उर्फ रामा (तिलक नगर नई दिल्ली), निशांत राय (द्वारका नई दिल्ली) को गिरफ्तार किया है.


इनके पास से मिला ये सामान
अभियुक्तों के कब्जे से 1 ऐप्पल आईफोन,6 एंड्रॉयड फोन,7 बैंक खातों की चेकबुक,10 ATM कार्ड,3 फर्जी सिम कार्ड और 1 फर्जी आधार बरामद किए गए हैं. पुलिस के मुताबिक गिरफ्तार अभियुक्तों का अंतर्राज्यीय गिरोह है.


भारत के साथ कई देशों में साइबर ठगी
यह गिरोह नेपाल, थाईलैंड, बैंकॉक समेत कई अन्य देशों से साइबर ठगी का काम कर रहा है. मिली जानकारी के मुताबिक गिरोह ने भारत के कई राज्यों में एजेंट बना रखे हैं. इन एजेंट के जरिए भारत में यह गिरोह साइबर ठगी की घटनाओं को अंजाम दे रहा है.


आपको बता दें कि प्रयागराज के जॉर्ज टाउन इलाके में काकोली दास नाम की बुजुर्ग महिला रहती है. उनके पति की मौत हो चुकी है और अकेली रहती है. बेटी विदेश में रहती है. जानकारी के मुताबिक 23 अप्रैल को उनके पास अंजान नंबर से फोन आया. फोन करने वाले ने खुद को क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताया. उन्होंने महिला को उलझाया और तीन दिन तक उनको डिजीटल अरेस्ट करके रखा. महिला से बैंक खाते की डिटेल निकलवा ली.  महिला के खाते से ठगों ने एक करोड़ 48 लाख रुपये निकाल लिए.  कुछ दिनों पहले जार्ज टाउन निवासी महिला के साथ भी इसी गिरोह ने 1 करोड 48 लाख की ठगी की थी.


चार दिन बाद जब पीड़ित को पता चला कि वह ठगी की शिकार हो गई हैं. फिर उसके बाद उन्होंने प्रयागराज के जॉर्ज टाउन थाने में तहरीर दी. पुलिस ने जांच शुरू की और जिस अकाउंट में पैसे ट्रांसफर हुए थे उनके बारे में पता लगाया. प्रयागराज पुलिस की साइबर सेल ने चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने चारों से कड़ाई से पूछताछ की, ठगों ने सारे राज उगल दिए.


जानें क्या होता है डिजिटल अरेस्ट?
कानूनी तौर पर डिजिटल अरेस्ट नाम का कोई शब्द नहीं करता. यह एक फ्रॉड करने का तरीका है. इन तरीकों को साइबर ठग अपनाते हैं. सीधा मतलब होता है ब्लैकमेलिंग. यानी इसके जरिए ठग अपने टारगेट को ब्लैकमेल करता है. वीडियो कॉलिंग के जरिए घर में कैद कर लेता है और नजर बनाए रखता है. डिजिटल अरेस्ट के मामलों में ठग लोगों को कॉल और वीडियो कॉलिंग के जरिये लोगों को सीधे ब्लैकमेल किया जाता है जिसे डिजिटल अरेस्ट का नाम दिया गया है. इन मामलों में किसी सरकारी अधिकारी बनकर फोन किया जाता है. ज्यादातर मामलों में साइबर ठग डिजिटल अरेस्ट के दौरान नकली पुलिस अधिकारी बनकर लोगों को धमकाते हैं और उनसे ठगी करते हैं. 


 


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