Bahula Chaturthi Vrat: संतान सुख के लिए रखा जाता है बहुला चतुर्थी व्रत, पढ़ें श्री कृष्ण से जुड़ी पौराणिक कथा
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Bahula Chaturthi Vrat: संतान सुख के लिए रखा जाता है बहुला चतुर्थी व्रत, पढ़ें श्री कृष्ण से जुड़ी पौराणिक कथा

Bahula Chaturthi 2023:  बहुला चतुर्थी भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी को मनाई जाती है...इस दिन भगवान श्री कृष्ण के साथ गाय माता की पूजा भी होती है...जो व्यक्ति ये व्रत रखता है, नन्द के लाल उनसे हमेशा प्रसन्न रहते हैं... 

प्रतीकात्मक फोटो

Bahula Chaturthi 2023: हिन्दू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर संकष्टी चतुर्थी के साथ बहुला चौथ का व्रत रखा जा रहा है.  यह व्रत श्री कृष्ण और उनकी प्रिय गाय बहुला के लिए रखा जाता है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से भक्तों के सभी संकट दूर होते हैं. इस लेख में जानते हैं कि बहुला चतुर्थी की कथा और इसका महत्व..

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बहुला चतुर्थी कब है?
3 सितंबर

बहुला चतुर्थी व्रत कथा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण की गौशाला में एक गाय थी जिसका नाम बहुला था. इस चतुर्थी का नाम इसी गाय के नाम पर बहुला पड़ा है.भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को बहुला चतुर्थी, बोलचौथ और संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है.  इस दिन गणेशजी के साथ-साथ श्रीकृष्ण एवं गायों की पूजा की जाती है. सनातन धर्म में भाद्रपद माह में श्रीकृष्ण और श्रीगणेश की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. धार्मिक मान्यता के अनुसार श्रीकृष्ण को बहुला नाम की गाय से बहुत प्रेम था. पौराणिक कथाओं की मानें तो श्रीकृष्ण ने कहा था कि भाद्रपद की इस चतुर्थी पर जो गायों की पूजा करेगा उसे धन और संतान का सुख मिलेगा.

एक बार श्रीकृष्ण के मन में विचार आया की बहुला गाय की परीक्षा लेनी चाहिए. जब बहुला वन में चारा खाने गई तब भगवान वहां सिंह रूप में प्रकट हो गए.  बहुला उसे देख डर गई लेकिन, उसने हिम्मत करके शेर से कहा कि मेरा बछड़ा भूखा है. मैं उसको दूध पिलाकर वापस आ जाऊंगी. इस पर सिंह ने कहा कि सामने आए आहार को कैसे जानें दूं? वापस नहीं लौंटी तो मैं भूखा रह जाऊंगा.  अगर तुम वापस नहीं आई तो मैं तो भूखा मर जाऊंगा. बहुला ने शपथ ली कि वह वापस जरूर आएंगे. जिसके बाद सिंह बने कान्हा ने बहुला  गाय को जाने दिया. फिर इसके बाद बहुला अपने बछड़े के पास पहुंची और उसे दूध पिलाकर वापस आ गई. बहुला गाय की निष्ठा देख श्री कृष्ण बहुत प्रसन्न हुए. उन्होंने बहुला को आशीर्वाद दिया, कि कलियुग में तुम्हारी भाद्र मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को पूजा की जाएगी और इस पूजा से महिलाओं को संतान सुख प्राप्त होगा.

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बहुला चतुर्थी का महत्व
बहुला चौथ निसंतान दम्पत्ति को संतान प्रदान करने, संतान के कष्टों को हरने वाला और धन-धान्य प्रदान करने वाला व्रत माना गया है. इस व्रत को करने से श्रीकृष्ण के आशीर्वाद से सभी सुख मिलते हैं. बहुला चौथ निसंतान दम्पत्ति को संतान प्रदान करने, संतान के कष्टों को हरने वाला और धन-धान्य प्रदान करने वाला व्रत माना गया है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा के साथ बहुला नाम की धर्मपरायण गाय की पूजा की जाती है.

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