उत्तराखंड के त्रियुगीनारायण मंदिर का विशेष महत्व है. पौराणिक मंदिर को लेकर कहा जता है कि इसी जगह पर भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इस मंदिर के अंदर सदियों से अग्नि जल रही है.
भगवान शिव और माता पार्वती ने इसी जगह पर अग्नि को साक्षी मानकर विवाह किया था. यह स्थान रुद्रप्रयाग जिले का एक भाग है. त्रियुगीनारायण हिमावत की राजधानी थी.
मान्यता है कि इस मंदिर में जल रही अग्नि को साक्षी मानकर भगवान शिव और पार्वती ने विवाह किया था और तब से यह अग्नि इस मंदिर में प्रज्जवलित हो रही है.
शिव-पार्वती के विवाह में विष्णु ने पार्वती के भाई के रूप में सभी रीतियों का पालन किया था. वहीं, ब्रह्मा इस विवाह में पुरोहित बने थे. सभी संत-मुनियों ने विवाह में भाग लिया था.
जो श्रद्धालु इस पवित्र स्थान की यात्रा करते हैं. वे यहां प्रज्वलित अखंड ज्योति की भभूत अपने साथ ले जाते हैं ताकि उनका वैवाहिक जीवन शिव और पार्वती के आशीष से हमेशा मंगलमय बना रहे.
रुद्रप्रयाग जिले का त्रियुगीनारायण मंदिर वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में काफी लोकप्रिय हो रहा है. यही वजह है कि बड़ी संख्या में लोग यहां आकर शादियां कर रहे हैं.
कई सेलिब्रेटी भी यहां शादी रचा चुकी है. गोविंदा की भांजी आरती सिंह शादी की अपनी पहली सालगिरह पर यहीं दोबारा सात फेरे लिए थे.
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