धवन ने पिता की भावनाओं को समझा और ठान लिया कि ऐसे मुकाम पर पहुंचूंगा की पिता को सम्मान मिले. फिर क्या था सर पर भारतीय सेना में अधिकारी बनने का जुनून सवार हो गया. देश सेवा का जज्बा तो पहले से था ही. कई प्रयासों के बाद एनडीए में सफलता मिल मिली.
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कुलदीप नेगी/देहरादून: अपने पिता के सम्मान की खातिर आज एक रिक्शा चालक का बेटा अपना जुनून लिए सेना में अधिकारी बन गया. मूल रूप से महाराष्ट्र के रहने वाले धवन सार्थक के पिता रिक्शा चलाकर गुजारा करते हैं. तमाम परेशानियों और मुसीबतें झेलने के बावजूद उन्होंने अपने बेटे की परवरिश में कोई भी कमी नहीं आने दी. जो मुकाम खुद हासिल न कर पाए वहां तक बेटे को पहुंचाने की पूरी ताकत के जुटे रहे. पिता के सपनों को उनके बेटे ने सेना में अधिकारी बन साकार किया.
धवन ने पिता की भावनाओं को समझा और ठान लिया कि ऐसे मुकाम पर पहुंचूंगा की पिता को सम्मान मिले. फिर क्या था सर पर भारतीय सेना में अधिकारी बनने का जुनून सवार हो गया. देश सेवा का जज्बा तो पहले से था ही. कई प्रयासों के बाद एनडीए में सफलता मिल मिली. एनडीए पासआउट करने के बाद भारतीय सैन्य अकादमी में प्रशिक्षण का दौर चला और आज धवन सार्थक भारतीय सेना में एक सैन्य अधिकारी बन गए.
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धवन का कहना है कि आज वो देश का बेटा बन चुके हैं. वह बताते हैं कि आज की पासिंग आउट परेड वह उन माता-पिता, उन भाइयों और बहनों, उन गुरुओं को समर्पित करना चाहते हैं, जिनके चलते आज वह इस मुकाम पर पहुंचे हैं. खासतौर से वॉर हीरो को वो यह डेडिकेट करना चाहते हैं.
धवन सार्थक की मानें तो शुरुआत से ही उनके सामने कई चुनौतियां रहीं, लेकिन माता-पिता ने कभी कोई कमी नहीं आने दी. अच्छी शिक्षा दी. अच्छे स्कूल में पढ़ाया और किसी भी चीज की कोई कमी कभी महसूस नहीं होने दी. हालांकि उनकी मां उनके बीच नहीं है, लेकिन जहां कहीं से भी वह बेटे की सफलता को देख रही होंगी तो उन्हें बड़ा गर्व महसूस हो रहा होगा.