माघ मेले पर मंडरा रहा बर्ड फ्लू का खतरा! साइबेरियन बर्ड्स ने बढ़ायी सरकार की चिंता
संगम तट पर हर साल आने वाले लाखों पक्षियों में बर्ड फ्लू का संक्रमण न फैले, इसको लेकर सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था करते हुए संगम तट पर पेट्रोलिंग बढ़ा दी गई है.
मो. गुफरान/प्रयागराज: संगम तट पर आयोजित हो रहे माघ मेले में भी बर्ड फ्लू का खतरा मंडराने लगा है. दरअसल, हर साल प्रयागराज के संगम तट पर लाखों की संख्या में साइबेरियन पक्षी आते हैं. इस बात को लेकर ही प्रशासन की चिंता काफी बढ़ गई है. गौरतलब है कि प्रदेश के कई शहरों में बर्ड फ्लू के मामले सामने आने के बाद योगी सरकार ने अलर्ट जारी करने के साथ ही बाहरी राज्यों से पक्षियों के आयात पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है. इसके साथ ही किसी भी इलाके में बर्ड फ्लू का संक्रमण फैलने पर तत्काल प्रभावी नियंत्रण के लिए जरुरी कदम उठाने के भी निर्देश दे दिए गए हैं.
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संगम तट पर बढ़ायी गई पेट्रोलिंग
संगम तट पर आये लाखों विदेशी पक्षियों यानी साइबेरियन बर्ड्स को लेकर प्रशासन की चिंता काफी बढ़ गयी हैं. हालांकि प्रयागराज में संगम के तट पर अभी बर्ड फ्लू का कोई मामला नहीं आया है. लेकिन संगम तट पर हर साल आने वाले लाखों पक्षियों में बर्ड फ्लू का संक्रमण न फैले, इसको लेकर सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था करते हुए संगम तट पर पेट्रोलिंग बढ़ा दी गई है. साथ ही श्रद्धालुओं से भी अपील की जा रही है कि बर्ड फ्लू के खतरे को देखते हुए इन विदेशी पक्षियों से उचित दूरी बनाये रखें. जिससे यह साइबेरियन बर्ड्स भी सुरक्षित रहें और लोग भी संक्रमण से बच सकें.
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हर साल हजारों किमी की दूरी तय कर पहुंचते हैं भारत
गौरतलब है कि हर साल विदेशी पक्षी सर्दियों के मौसम में हजारों किलोमीटर की लंबी दूरी तय कर साइबेरिया से भारत आते हैं. इन साइबेरियन पक्षियों का समूह साइबेरिया से यूरोप के विभिन्न देशों से होते हुए अफगानिस्तान, मंगोलिया पहुंचते हैं. यहीं से ये दो हिस्सों में बंट जाते हैं. साइबेरियन पक्षियों का एक समूह जहां चीन की ओर चला जाता है. वहीं दूसरा समूह तिब्बत के रास्ते भारत में प्रवेश कर जाता है. भारत में साइबेरियन पक्षी राजस्थान के भरतपुर पक्षी विहार, भीरपुर, नरायणपुर कलान, देहरांव और प्रयागराज के संगम तट पर डेरा जमाते हैं. साइबेरियन पक्षी 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से कई पड़ावों पर ठहरते हुए संगम पहुंचते हैं.
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इतनी दूर से क्यों आते हैं ये पक्षी
सर्दियों में रुस के प्रांत साइबेरिया में तापमान जीरो से माइनस 30-40 नीचे चला जाता है. इस तापमान में इन पक्षियों का जिंदा रह पाना बहुत मुश्किल हो जाता है. इसलिए ये पक्षी हैबिटेट और ब्रीडिंग के लिए गर्म स्थानों की ओर रुख करते हैं. भारत में ये पक्षी अक्टूबर से मार्च तक का समय अलग-अलग इलाकों में बिताते हैं. इन विदेशी मेहमानों के संगम तट पर आने से यहां की नैसर्गिक सुंदरता में चार चांद लग जाते हैं. यहां आने वाले श्रद्धालु भी इनके कलरव को देखकर आकर्षित होते हैं. लेकिन यहां आने वाले श्रद्धालु भी इन विदेशी मेहमानों को बर्ड फ्लू के खतरे से बचाने के लिए सरकार और प्रशासन से जरूरी कदम उठाने की मांग कर रहे हैं.
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