इंसानों में कोरोना और कुत्तों में पार्वो का कहर, दिन-ब-दिन खराब हो रही है उत्तराखंड की हवा
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इंसानों में कोरोना और कुत्तों में पार्वो का कहर, दिन-ब-दिन खराब हो रही है उत्तराखंड की हवा

पशु चिकित्सकों की मानें तो मौसम बदलने से कुत्तों में पार्वो वायरस का संक्रमण फैलने लगता है. जिन कुत्तों को पैदा होने के आधे महीने और डेढ़ महीने में पार्वो टीका लगता है, उन्हें यह बीमारी नहीं होती. 

फाइल फोटो.

हरेन्द्र नेगी/रुद्रप्रयाग: प्रदेश में जहां एक तरफ कोरोना के केस बढ़ते नजर आ रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ मौसम बदलने के साथ-साथ भी कुत्ते पार्वो वायरस की चपेट में आ रहे हैं. इन दिनों रद्रप्रयाग जिले में करीब 60 फीसदी पालतू कुत्ते इस विषाणुजनित रोग की चपेट में आ चुके हैं. इस बीमारी से निपटने के लिए पशु चिकित्सक हर संभव कोशिश में जुटे हुए हैं. बीमारी के कारण पशु चिकित्सालयों में कुत्तों की संख्या बढ़ती जा रही है.

इन जिलों में बढ़ रहा है संक्रमण
रुद्रप्रयाग जिले के ऊखीमठ, फाटा, गुप्तकाशी, रामपुर, रुद्रप्रयाग, अगस्त्यमुनि, चन्द्रापुरी, सुमाड़ी, चैरिंया भरदार, जखोली, मुन्ना देवल, काण्डई, दुर्गाधार, क्यूंजा के पशु केंद्रों में हर दिन 10 से 15 पालतू कुत्ते पर्वो बीमारी से ग्रसित आ रहे हैं. अब तक इन सभी चिकित्सालयों में करीब 2000 से ज्यादा कुत्ते पार्वो बीमारी की चपेट में आ चुके हैं. समय से इलाज न मिलने के कारण कई कुत्तों की मौत भी हो चुकी है. 

आंतों में हो जाता है संक्रमण
पशु चिकित्सकों की मानें तो मौसम बदलने से कुत्तों में पार्वो वायरस का संक्रमण फैलने लगता है. जिन कुत्तों को पैदा होने के आधे महीने और डेढ़ महीने में पार्वो टीका लगता है, उन्हें यह बीमारी नहीं होती. इसके साथ ही ढाई महीने में बूस्टर डोज लगाया जाता है. मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. रमेश नितवाल ने बताया कि जिन कुत्तों का टीकाकरण होता है, वह तो इस बीमारी से बच जाते हैं. मगर जिनका टीकाकरण नहीं होता है, यह वायरस उन कुत्तों में तेजी से अटैक करता है. पार्वो वायरस कुत्तों की आंत में अवरोध पैदा करता है. इससे आंतों में संक्रमण हो जाता है. 

कुत्तों को न दें अंडा और मीट 
संक्रमण के प्रभाव से कुत्तों को खून की उल्टी होने लगती है. संक्रमित कुत्तों के शरीर से बुरी तरह दुर्गंध आती है. बड़े जानवरों को इस वायरस से कोई खतरा नहीं होता है, लेकिन छोटे जानवरों के लिए यह वायरस गंभीर खतरा पैदा करता है. उन्होंने बताया कि रोजाना बीमार कुत्तों की संख्या बढ़ रही है. टीकाकरण से उपचार संभव है. इसलिए समय पर अपने पालतू जानवरों का टीकाकरण जरूर करवाएं. उन्होंने कहा कि अपने कुत्ते को अंडा व मीट बिल्कुल भी नहीं देना चाहिए. जितना हो सके मूंग की खिचड़ी, दही और ओआरएस का घोल पिलाएं. 

कैसे करेंगे पार्वो वायरस की पहचान?
जानवरों में तमाम तरह की संक्रामक बीमारियां होती है. इनमें कुत्तों में होने वाली बीमारियों में पार्वो वायरस बेहद घातक है. इस वायरस से पीड़ित कुत्ते के व्यवहार में अचानक बदलाव आ जाता है. यह एक वायरल बीमारी है और समय पर उपचार न मिलने से जानवरों की मौत तक हो जाती है. बीमार पड़ने से पहले कुछ ऐसे लक्षण नजर आते हैं, जिससे आप आसानी से जान सकते हैं कि आपका कुत्ता वायरल बीमारी से पीड़ित है. पशु चिकित्सकों के अनुसार पार्वो वायरस से प्रभावित कुत्ता खांसने लगता है. छींके आती हैं. कुत्ता भोजन नहीं करता. पानी नहीं पीता और उसकी नाक में सूखापन आ जाता है. वायरस से कुत्तों को बचाने के लिए तीन टीके लगाए जाते हैं. इनमें पहला टीका पिल्ले को डेढ़ महीने की उम्र में, दूसरा ढाई और तीसरा टीका साढ़े तीन महीने की उम्र में लगाया जाता है. 

बाजार में उपलब्ध है पार्वो का टीका
बाजार में पार्वो वायरस के एक टीके की कीमत तकरीबन 200 रुपये है. फिलहाल राजकीय पशु चिकित्सालयों में यह टीका उपलब्ध नहीं है, लेकिन बाजार में पशुओं की दवा बेचने वाले केमिस्ट के पास टीका उपलब्ध है. वायरस से बचाव के लिए शुरुआत से ही कुत्तों का टीकाकरण बेहद जरूरी है. 

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