समाजवादी पार्टी की BSP संगठन में सेंधमारी जारी, मायावती के नेताओं को भा रहा अखिलेश का साथ
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समाजवादी पार्टी की BSP संगठन में सेंधमारी जारी, मायावती के नेताओं को भा रहा अखिलेश का साथ

समाजवादी पार्टी के साथ बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन टूटने के बाद कई बड़े नेताओं का बीएसपी से मोहभंग हो रहा है. ऐसे नेता लगातार अखिलेश में आस्था जताते हुए समाजवादी पार्टी में शामिल हो रहे हैं और ये सिलसिला लगातार जारी है. 

समाजवादी पार्टी जॉइन करने वाले बसपा नेताओं के साथ अखिलेश यादव.

विनोद मिश्रा/लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी के कई बड़े नेताओं ने सोमवार को अखिलेश यादव की मौजूदगी में समाजवादी पार्टी का दामन थामा. बीएसपी के कद्दावर नेता और पूर्व सांसद राम प्रसाद चौधरी, पूर्व सांसद अरविंद चौधरी, पूर्व विधायक दूध राम, राजेंद्र चौधरी और नंदू चौधरी के अलावा जिला पंचायत सदस्य और पूर्व ब्लॉक प्रमुख समेत दर्जनों नेताओं ने अपने समर्थकों के साथ अखिलेश यादव की मौजूदगी में समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया.

समाजवादी पार्टी के साथ बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन टूटने के बाद कई बड़े नेताओं का बीएसपी से मोहभंग हो रहा है. ऐसे नेता लगातार अखिलेश में आस्था जताते हुए समाजवादी पार्टी में शामिल हो रहे हैं और ये सिलसिला लगातार जारी है. पिछले 6 महीने में बीएसपी के दर्जनों बड़े नेताओं ने समाजवादी पार्टी जॉइन की है. बीएसपी के बड़े नेताओं में शुमार इंद्रजीत सरोज ने अक्टूबर महीने में अपने 94 साथियों के साथ एसपी जॉइन किया था. इसके बाद बीएसपी के पूर्व प्रदेश  अध्यक्ष दयाराम पाल ने पिछले महीने एसपी जॉइन की थी.

उनके साथ को-ऑर्डिनेटर रह चुके मिठाई लाल को भी सपा भा गई. बीएसपी सरकार में स्वास्थ्य राज्यमंत्री रहे भूरेलाल, कैबिनेट मंत्री रहे कमलाकांत ने भी अखिलेश की मौजूदगी में पिछले दिनों एसपी का दामन थामा. अम्बेडकर नगर से बसपा छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल होने वालों में पूर्व एमएलसी अतहर खान के अलावा जगदीश राजभर, रामदौर, जितेंद्र निषाद, राजमनि भारती, गुलाब प्रजापति, गोविंद कुमार कन्नौजिया (सभी सदस्य जिला पंचायत) सपा में शामिल हो चुके हैं. इसके अलावा स्थानीय स्तर पर कई पूर्व विधायकों, को-ऑर्डिनेटरों, जिलाध्यक्षों ने भी एसपी जॉइन की है. 

दरअसल, कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव 2019 में एसपी-बीएसपी गठबंधन का सीटों में फायदा बीएसपी को भले ही हुआ हो, लेकिन गठबंधन टूटने के बाद अखिलेश यादव को फायदा मिल रहा है. आरोप है कि समाजवादी पार्टी, बसपा के साथ गठबंधन टूटने के बाद उसके संगठन में सेंधमारी कर रही है. अखिलेश यादव ने फैसला किया है कि वह अब चुनाव अकेले लड़ेंगे, लेकिन संगठन को मजबूत करने के लिए दूसरे दलों के नेताओं की पार्टी में जॉइनिंग जारी रहेगी.

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