रक्षाबंधन के दिन हाथ पर सजती है 15 किलो की राखी, मिलिए संभल के राखी मैन से ...
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रक्षाबंधन के दिन हाथ पर सजती है 15 किलो की राखी, मिलिए संभल के राखी मैन से ...

राखी से जुड़ी कई ऐसी कहानियां हैं, जो भाई-बहन के प्यार की मिसाल देती हैं. रिश्तों की इसी मिठास को उन बहनों तक पहुंचाते हैं संभल के ओमप्रकाश, जिन बहनों के भाई नहीं हैं. संभल जिले को चंदौसी में ओमप्रकाश इलेक्ट्रिशियन का काम करते हैं, लेकिन हर रक्षाबंधन को वे इंसानी रिश्तों की मिसाल बन जाते हैं.

36 वर्षों में राखी मैन को बांधी गईं 3500 राखियां

संभल: राखी से जुड़ी कई ऐसी कहानियां हैं, जो भाई-बहन के प्यार की मिसाल देती हैं. रिश्तों की इसी मिठास को उन बहनों तक पहुंचाते हैं संभल के ओमप्रकाश, जिन बहनों के भाई नहीं हैं. संभल जिले को चंदौसी में ओमप्रकाश इलेक्ट्रिशियन का काम करते हैं, लेकिन हर रक्षाबंधन को वे इंसानी रिश्तों की मिसाल बन जाते हैं. 36 वर्षों से ओमप्रकाश रक्षाबंधन के दिन शहर में उन बहनों से राखी बंधवाने के लिए निकलते हैं, जिनके भाई नहीं हैं. 

36 वर्षों से सहेज रखी हैं 3 हजार राखियां 
ओमप्रकाश रक्षा बंधन पर बहनों द्वारा अपनी कलाई पर बांधी गई राखियों को 36 साल से सहेजते आ रहे हैं. 36 साल से सहेजी गई राखियों को उन्होंने एक विशाल राखी का रूप दे दिया है. 3 हजार राखियों से बनी 15 किलो वजन की राखी को कलाई पर बांध कर ओमप्रकास रक्षा बंधन के दिन शहर में निकलते हैं. वे उन बहनों के यहां खुद पहुंच जाते है जिनके भाई नहीं हैं. उनसे राखी बंधवाते हैं और गिफ्ट देते हैं. 

ओमप्रकाश की राखी का कोई धर्म नहीं 
ओमप्रकाश की कलाई पर राखी बांधने वाली उनकी बहनें हिंदू-मुस्लिम और अन्य धर्मों की भी हैं. ओमप्रकाश के इसी जज्बे को देखते हुए उन्हें इलाके में राखी मैन कहा जाने लगा है. राखी मैन बने ओमप्रकाश के लिए दूसरे शहरों से भी करीब 55 महिलाएं डाक से राखियां भेजती हैं. 

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बेटी बचाओ का संदेश देते हैं राखी मैन 
राखी मैन ओमप्रकाश इस मौके पर लोगों को 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का संदेश भी देते हैं. उनका कहना है कि अगर बेटियां ही नहीं होंगी, तो कलाई पर राखी कौन बांधेगा. राखी मैन ओमप्रकाश के खुद 4 बेटियां हैं. वे ओमप्रकाश के लिए आने वाली राखियों को उनकी विशाल राखी पर सजाती हैं और इसे सहेजकर रखती हैं.
3500 राखियो से ओमप्रकाश की राखी 15 किलो की हो चुकी है. ये ओमप्रकाश का अपनी बहनों के लिए प्यार ही है वे इस भारी भरकम राखी को हाथ में बांधकर निकलते हैं.  

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