#Save Ganga: रोजाना 1 सेंटीमीटर घट रहा है गंगा का जलस्तर
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#Save Ganga: रोजाना 1 सेंटीमीटर घट रहा है गंगा का जलस्तर

गंगा की स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है. जलस्तर लगातार घटता जा रहा है और पानी प्रदूषित होता जा रहा है. 

57.84 मीटर पर पहुंचा जल स्तर. (फाइल फोटो)

वाराणसी: गंगा की स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है. जलस्तर घट रहा है और पानी प्रदूषित होता जा रहा है. एक रिपोर्ट के अनुसार, गंगा का जलस्तर रोजाना करीब एक सेंटीमीटर की दर से घट रहा है. गंगा का जलस्तर आठ सालों में न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुका है. गंगा का पानी इतना प्रदूषित हो गया है कि पीना तो दूर, इसे नहाने के लिए भी प्रयोग नहीं किया जा सकता है. केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार 23 अप्रैल को गंगा नदी का जलस्तर करीब 58.1 मीटर था, जो 22 मई को घटकर 57.84 मीटर पर पहुंच गया.

क्या कहते हैं आंकड़े
आंकड़ों के मुताबिक, गंगा का वाटर लेवल 24 अप्रैल 2018 को 58.1 मीटर है. जबकि 9 जुलाई 2010 को ये 57.16 मीटर था. वहीं साल 2015 में गंगा का जलस्तर 58.67 मीटर था. साल 2016 में ये 58.52 मीटर था. 29 जून 2017 को न्यूनतम जलस्तर 58.27 मीटर दर्ज किया गया था. 

सिंचाई के लिए जरूरत से ज्यादा गंगा का इस्तेमाल
केंद्रीय जल आयोग के सुपरीटेंडेंट इंजीनयिर रविंद्र सिंह के मुताबिक, गंगा नदी का जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है. घटते जलस्तर की वजह फेशियल कोलीफार्म और टोटल कोलीफार्म बहुत ज्यादा बढ़ गया है. ऐसी स्थिति में गंगा का पानी आचमन लायक तो दूर, नहाने लायक भी नहीं रह गया है. सुपरीटेंडेंट इंजीनियर रविंद्र सिंह कहते हैं कि लगातार घटते जलस्तर की मुख्य वजह इलाहाबाद से वाराणसी के बीच सिंचाई के लिए आवश्यकता से ज्यादा पानी निकालना है. गंगा में जल का न्यूनतम स्तर क्या होना चाहिए इसपर सात आईआईटी का कंसोर्टियम जल संसाधन मंत्रालय के साथ मिलकर काम कर रहा है.

गलत तरीके से पानी का दोहन
गंगा पर 45 सालों से काम कर रहे प्रोफेसर UK चौधरी गंगा की स्थिति के लिए भीमगौड़ा और नरौरा बराज को जिम्मेदार मानते हैं. इसके साथ-साथ बिना सोचे समझे सिंचाई के लिए गलत तरीके से पानी का दोहन और टेहरी से एक ही जगह से ज्यादा पानी निकाल लेना ये तमाम कारण गंगा की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार हैं.

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