SC ने उत्तराखंड सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट कंडी रोड निर्माण पर लगाई रोक, भेजा नोटिस
Advertisement

SC ने उत्तराखंड सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट कंडी रोड निर्माण पर लगाई रोक, भेजा नोटिस

जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस सूर्यकांत की अवकाशकालीन पीठ ने शुक्रवार को ये आदेश सेंट्रल इम्पोवरमेंट कमेटी (CEC) की अर्जी पर दिया है.

कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के गढ़वाल एवं कुमाऊं मंडलों को सीधे आपस में जोड़ने वाली कंडी रोड के लालढांग-चिलरखाल हिस्से के निर्माण पर रोक लगा दी है. जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस सूर्यकांत की अवकाशकालीन पीठ ने शुक्रवार को ये आदेश सेंट्रल इम्पोवरमेंट कमेटी (CEC) की अर्जी पर दिया है. CEC सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित की गई कमेटी है. इसके साथ ही कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. 

दरअसल, उत्तराखंड के राजाजी नेशनल पार्क एरिया में सड़क का निर्माण कार्य चल रहा था. इससे पहले इस सड़क के निर्माण को लेकर उत्तराखंड वन विभाग की ओर से दिए गए जवाब से नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथोरिटी (एनटीसीए) संतुष्ट नहीं था. अथॉरिटी ने राजाजी टाइगर रिजर्व के बफर जोन से गुजरने वाली इस सड़क के निर्माण में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम और वन अधिनियम में निहित प्रावधानों के अनुरूप कदम उठाने के निर्देश दिए थे.

उत्तराखंड सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल है कंडी रोड
(रामनगर-कालागढ़-कोटद्वार- लालढांग) के राजाजी टाइगर रिजर्व से लगे लैंसडौन वन प्रभाग के अंतर्गत आने वाले 11 किमी लंबे गैर विवादित हिस्से लालढांग-चिलरखाल (कोटद्वार) के निर्माण को सरकार ने पहल की थी. इसके लिए लोनिवि को सवा छह किमी सड़क के लिए वन भूमि हस्तांतरित की गई थी. डामरीकरण के साथ ही तीन पुलों के निर्माण को धनराशि जारी की गई थी. वन विभाग की ओर से 31 मई को एनटीसीए को भेजे गए जवाब में कहा गया था कि लालढांग-चिलरखाल मार्ग के सुदृढ़ीकरण का कार्य पारिस्थितिकीय रूप से पूर्णतया पोषणीय (कंप्लीटली सेस्टेनेबल) है. 

fallback

इसी कारण वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत इसके लिए वाइल्डलाइफ क्लीयरेंस लेने की जरूरत नहीं समझी गई. साथ ही इस प्रकरण में वृक्षों का पातन न होने, संबंधित कार्य से भूमि कटाव की रोकथाम होने, कलवर्ट व क्रॉस ड्रेनेज निर्माण से वन्यजीवों का आवागमन सुलभ होने, वनकर्मियों द्वारा वन्यजीवों की सुरक्षा को वर्षाकाल में नियमित गश्त की सुगमता का हवाला दिया गया था.

Trending news