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लखनऊ: यूपी के लखनऊ का मशहूर मेडिकल इंस्टीट्यूट और अस्पताल संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (SGPGIMS) में दवाइयों को लेकर लाखों का घोटाला सामने आया है. इसके बाद से ही अस्पताल प्रबंधन में हड़कंप मचा हुआ है. बताया जा रहा है कि यहां प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री सहित अन्य राहत कोष से मरीजों के इलाज के लिए मिलने वाली रकम से बड़े स्तर पर दवा घोटाला हुआ है. फिलहाल PGI थाना पुलिस की तहरीर पर अस्पताल कर्मचारियों के ऊपर FIR दर्ज की गई है. अब जांच जारी है.
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सामने आ सकते हैं कई अधिकारियों के नाम
वहीं, सूत्रों से जानकारी मिली है कि जांच में कई अन्य बड़े अफसरों और डॉक्टरों के नाम का खुलासा हो सकता है. वहीं, मास्टरमाइंड का खुलासा जांच रिपोर्ट आने के बाद ही हो पाएगा. बताया जा रहा है कि मरीजों के नाम पर आने वाली रकम को फर्जी हस्ताक्षर और दस्तावेज तैयार कर दवाइयों के नाम पर निकाला जा रहा था. वहीं, PGI प्रबंधन के निदेशक आर के धीमान के मुताबिक, अस्पताल प्रबंधन ने भी जांच कमेटी का गठन किया है. इसकी रिपोर्ट सोमवार शाम तक सामने आ सकती है. इसके बाद दोषी अधिकारी-कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाएगी.
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सामने आए घोटाले के ये आंकड़े
पुलिस की जांच में 23 मरीजों के नाम पर करीब 55 लाख की दवाएं निकालने की बात सामने आई है. जानकारी के मुताबिक, मौजूदा समय में PGI में 10 हजार से ज्यादा लोगों का इलाज चल रहा है. बताया जा रहा है कि कोरोना महामारी के समय में मरीजों और उनके तीमारदारों के देर से आने को मौका बना कर यहां के अधिकारियों और कर्मचारियों ने मिलीभगत कर यह घोटाला किया है. मरीज को दवाएं दी नहीं गईं, लेकिन उनके नाम पर खूब दवाएं निकाली गई हैं.
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मरीज के खाते से 2 लाख गायब
सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि कुछ दिन पहले एक मरीज ने शिकायत की थी कि जह वह SGPGI पहुंचा, तो उसे बताया गया कि उसके खाते में अब पैसे नहीं बचे हैं. जबकि उसने आज तक दवा ली ही नहीं है. शासन ने उसके खाते में करीब 2 लाख रुपये भेजे थे, जो बिना इस्तेमाल में लाए ही गायब हो गए थे.
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डॉक्टर की इस हरकत से हुआ शक
इसके अलावा एक और मामला सामने आया था, जब विभाग में OPD फार्मेसी का कर्मचारी एक डॉक्टर से दवा के पर्चे पर साइन कराने पहुंचा था. उसपर एक डॉक्टर के साइन पहले से थे. इसे देथते हुए दूसरे डॉक्टर को शक हुआ और फार्मेसी कर्मचारी से कड़ाई से पूछताछ की गई. इसपर वह कोई जवाब नहीं दे पाया. इन दो केस के बाद से जांच में तेजी लाई गई और दवा घोटाला सामने आया.
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