लखनऊ: पावर कॉर्पोरेशन मैनेजमेंट द्वारा लगाए गए स्मार्ट मीटर (Smart Meter) उपभोक्ताओं की परेशानी बन गए हैं. जन्माष्टमी पर स्मार्ट मीटर डिस्कनेक्शन मामले में स्पेशल टास्क फोर्स (STF) को कई चौंकाने वाले तथ्य मिले हैं. जांच में पता लगा है कि राज्य में स्मार्ट मीटर लगाए जाने में मैनेजमेंट ने नियम और कानून की अनदेखी की है. उपभोक्ताओं के यहां स्मार्ट मीटर लगाने से पहले उसकी केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के नियमानुसार तकनीकी जांच ही नहीं कराई गई थी. साथ ही, रिपोर्ट में मीटर निर्माता से लेकर उसे लगाने वाली कंपनी के साथ ही प्रबंधन भी सवालों के घेरे में आ गए हैं.


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13 अगस्त को STF को सौंपी गई थी रिपोर्ट
बीती जन्माष्टमी के दिन स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं की बिजली अचानक गुल हो गई थी. इस मामले को प्रदेश सरकार ने गंभीरता से लिया और 13 अगस्त को पूरे मामले की जांच उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स को सौंपी गई. शुरुआत में एसटीएफ को 3 दिन में जांच पूरी करने के निर्देश दिए गए थे. लेकिन एसटीएफ को इसमें तकरीबन 4 महीने लग गए. जांच में प्रबंधन की लापरवाही सामने आई है.


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तकनीकी पहलू की जांच कराने की सिफारिश
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि स्मार्ट मीटर लगाने से पहले अवस्थापना सुविधाओं (Infrastructure Facilities) पर भी ध्यान नहीं दिया गया. जो पैरामीटर तय किए गए थे, उनकी अनदेखी करते हुए सिस्टम की निगरानी, सॉफ्टवेयर अपग्रेडेशन, आदि की उचित व्यवस्था न करने से स्मार्ट मीटर में अभी भी खामियां बनी हुई हैं. रिपोर्ट में जिक्र किया गया है कि स्मार्ट मीटर में खामियों की लगातार मिल रही शिकायतों पर प्रबंधन ने कोई एक्शन नहीं लिया. इसके अलावा, एसटीएफ ने पूरे मामले में तकनीकी पहलू की जांच कराए जाने की सिफारिश की है.


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प्रदेश में लगे 12 लाख स्मार्ट मीटर
राज्य में जीनस कंपनी के 12 लाख से ज्यादा स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं. कंट्रोल रूम में लगे सर्वर से स्मार्ट मीटर पर प्राइवेट कंपनी एलएंडटी (लार्सन एंड टुब्रो) और एनर्जी एफीशिएंसी सर्विसेस लिमिटेड (EESL) द्वारा नजर रखी जा रही है. बिजली गुल होने पर ईईएसएल के यूपी स्टेट हेड और एलएंडटी के यूपी में प्रोजेक्ट मैनेजर को निलंबित किया जा चुका है.


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