देशद्रोह के आरोप का सामना कर रहे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के 14 छात्रों के खिलाफ अब तक एकत्र सुबूत उन पर लगे इल्जाम को सही साबित करते नहीं दिख रहे हैं.
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अलीगढ़: देशद्रोह के आरोप का सामना कर रहे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के 14 छात्रों के खिलाफ अब तक एकत्र सुबूत उन पर लगे इल्जाम को सही साबित करते नहीं दिख रहे हैं. जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आकाश कुलहरि ने गुरुवार को खुद यह बात कही.
कुलहरि ने संवाददाताओं से कहा, "घटना के संबंध में अब तक एकत्रित किसी भी प्रमाण से छात्रों पर लगा देशद्रोह का आरोप साबित नहीं होता है.' उन्होंने कहा कि पुलिस इस मामले में अभी और सुबूत इकट्ठा कर रही है. अगर देशद्रोह के आरोप के समर्थन में कोई प्रमाण नहीं मिलता है तो मुकदमे में इससे संबंधित धारा को हटा दिया जाएगा.
मालूम हो कि भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष मुकेश लोधी की तहरीर पर एएमयू के 14 छात्रों के खिलाफ देशद्रोह और हत्या के प्रयास के आरोप में मंगलवार को मुकदमा दर्ज किया गया था. लोधी ने तहरीर में आरोप लगाया था कि वह एएमयू परिसर से सटे इलाके से गुजर रहे थे, तभी विश्वविद्यालय के छात्रों की अराजक भीड़ ने उन्हें घेर लिया और देश विरोधी नारेबाजी करते हुए उन पर हमला किया.
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने इस बात की पुष्टि की है कि पुलिस एएमयू के ऐसे 55 छात्रों की सूची तैयार कर रही है जिनके खिलाफ जल्द ही गैर जमानती वारंट जारी किया जाएगा. उसके बाद वह एएमयू प्रशासन से उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने को कहेंगे.
एएमयू के प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि लोधी ने पिछले हफ्ते विश्वविद्यालय के कुलपति को धमकी दी थी कि अगर अगले 15 दिन के अंदर उन्होंने एएमयू परिसर में एक मंदिर बनाने के लिये जगह नहीं दी तो वह खुद ही निर्माण कार्य शुरू कर देंगे.
इस बीच, छात्रों पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किए जाने का विरोध कर रहे एएमयू छात्र संघ के नेताओं ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पुलिस ने एक ऐसे व्यक्ति की तहरीर पर इतनी गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया, जो खुद परिसर का माहौल खराब करना चाहता है. अफसोस की बात तो यह है कि इस मामले में उसके खिलाफ दर्ज शिकायत पर पुलिस ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है.