एक फोन कॉल ने आठ साल बाद बेटे को मां से मिलाया, नहीं थम रहे थे दोनों के आंसू
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एक फोन कॉल ने आठ साल बाद बेटे को मां से मिलाया, नहीं थम रहे थे दोनों के आंसू

पश्चिम बंगाल के मालदा से 8 साल पहले गायब हुई दुलारी मंडल यूपी के गोरखपुर में मिलीं.आठ साल से कई राज्यों में बेटा सुजीत कर अपनी मां की तलाश कर रहा था. अपने बेटे को 8 साल बाद देखकर मां फूट-फूटकर रोने लगीं

फाइल फोटो

गोरखपुर/प्रदीप तिवारी:  कहते हैं ढूंढने पर तो भगवान भी मिल जाता है. बस इसी आस और उम्मीद में आठ साल से देश के 10 राज्यों में खोजबीन करने  के बाद सुजीत मंडल को आखिरकार उसकी मां मिल ही गई. सुजीत मंडल ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वो उसे मिलेगी. मां के प्रति असीम प्यार और उसके भरोसे ने उसे उसकी मां से मिला दिया.  गोरखपुर से आए एक फोन ने सुजीत को वो खुशी दी जिसका इंतजार वो सालों से कर रहा था.

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दुलारी मंडल ने अवसाद में छोड़ दिया था घर

ये भावविभोर कर देने वाला मामला पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के गाजोल थाने का है, जहां से 8 साल पहले दुलारी मंडल नाम की महिला अपना घर छोड़कर गायब हो गई थी. कहा जा रहा है कि उस समय उसकी दिमागी हालत ठीक नहीं थी. जिसके बाद वो घर से अचानक ही गायब हो गई. अब आपको बताते हैं कि दुलारी मंडल की मानसिक हालत क्यों दिन व दिन खराब होती गई जिसके कारण उसने घर छोड़ दिया. साथ ही बतातें हैं कि वो कहां पर मिली.

कई घटनाओं से बिगड़ गई थी मानसिक हालत

मालदा की रहने वाली दुलारी मंडल के 2 बेटे और एक बेटी थी. साल 2008 में दुलारी मंडल के पति का निधन हो गया था जिसके बाद से दुलारी मंडल की दिमागी हालत खराब होने लगी. दुलारी मंडल के बड़े बेटे परिवार को चलाने के लिए पैसे कमाने नौकरी की खोज में पानीपत चले गए. पानीपत में 3 साल बाद उनकी मौत हो गई. इस खबर को सुनने के बाद दुलारी मंडल की दिमाग की हालत और खराब हो गई. इन दो घटनाओं से अभी दुलारी मंडल और उनका परिवार उभरा भी नहीं था कि साल 2013 में दुलारी मंडल की बेटी की तय हुई शादी से कुछ दिन पहले ही बेटी की भी मौत हो गई. जब बेटी का दाह संस्कार कर परिवार के लोग घर पहुंचे तो दुलारी मंडल घर पर मौजूद नहीं थी. बस उसी दिन से उन्होंने घर छोड़ दिया था. उसके बाद से ही उनके छोटे बेटे ने मां की तलाश में खाक छाननी शुरू कर दी थी.

पढ़ाई छोड़ बेटा कर रहा था लगातार तलाश

दुलारी मंडल के छोटे बेटे सुजीत मंडल 16 साल की उम्र से ही अपनी मां की तलाश कर रहे थे. सुजीत ने पश्चिम बंगाल के हर  रेलवे स्टेशन से लेकर हर जगह  अपनी मां को तलाशा लेकिन उनको वो नहीं मिली. जब कुछ हाथ नहीं लगा. सुजीत ने पश्चिम बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र और पूर्वोत्तर कि राज्यों समेत लगभग दर्जनों राज्यों में अपनी मां की तलाश की. इसके लिए सुजीत ने अपनी पढ़ाई तक छोड़ दी. वहीं दुलारी देश के कई राज्यों से भटकती हुई उत्तर प्रदेश के गोरखपुर पहुंची.

काउंसलिंग और इलाज के बाद दुलारी मंडल में आया सुधार

गोरखपुर के मातृछाया चैरिटेबल फाउंडेशन के लोगों को इस महिला की जानकारी हुई तो 30 अगस्त को रोडवेज बस स्टेशन गोरखपुर  से इस महिला को वो लोग अपने  मातृछाया मानसिक मंदित महिला आश्रय गृह मैं लाए. संस्था के लोगों ने दुलारी मंडल का मानसिक इलाज करवाया जिसके बाद से उनके मानसिक हालात में सुधार होना शुरू हो गया.  टीम की काउंसलिंग और इलाज के बाद दुलारी मंडल पहले से काफी ठीक हो गई. काउंसलिंग के दौरान दुलारी मंडल ने मालदा जिले के गाजोल थाने का नाम लिया जिसके बाद मातृछाया चैरिटेबल फाउंडेशन की टीम ने थाने से संपर्क कर दुलारी मंडल के घर तक इसकी सूचना पहुंचाई. जब इसकी जानकारी दुलारी मंडल के बेटे को हुई तो वो गोरखपुर मातृ छाया आश्रय गृह पहुंच गया.

बेटे को सामने देख लिपटकर रोने लगी दुलारी मंडल

जैसे ही दुलारी मंडल ने अपने बेटे को देखा तो उससे लिपट कर रोने लगी उस भाव पल को देखते हुए वहां मौजूद लोगों के आंखों से भी आंसू छलक पढ़ें उसके बाद फाउंडेशन के लोगों ने कागजी कार्रवाई के बाद दुलारी मंडल को उनके बेटे के साथ विदा कर दिया. 

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