बुधवार (16 जनवरी) को राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी दिल्ली में पहले अखिलेश यादव से मुलाकात करेंगे. इसके बाद दोनों नेताओं की मुलाकात मायावती से होगी.
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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में एसपी-बीएसपी गठबंधन के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है. खबर है की राष्ट्रीय लोकदल इस गठबंधन में शामिल हो सकता है. बुधवार (16 जनवरी) को राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी दिल्ली में पहले अखिलेश यादव से मुलाकात करेंगे. इसके बाद दोनों नेताओं की मुलाकात मायावती से होगी. सूत्रों का कहना है की चार सीटों पर आरएलडी के साथ बात बन सकती है.
सपा-बसपा गठबंधन से पहले माना जा रहा था कि अजित सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) को भी इसमें शामिल किया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक, रालोद गठबंधन में पांच-छह सीटें अपने लिए मांग रही थी, लेकिन इसके बावजूद जब मायावती और अखिलेश ने गठबंधन का ऐलान किया तो कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के लिए दो सीटें छोड़ने के बाद 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा सपा-बसपा ने की. इस तरह बाकी दलों के लिए केवल दो सीटों की गुंजाइश गठबंधन ने छोड़ी. सूत्रों के मुताबिक, इस गठबंधन ने ये दो अन्य सीटें रालोद के लिए छोड़ी थीं लेकिन, रालोद इससे संतुष्ट नहीं है.
सपा नेता अखिलेश यादव और रालोद नेता जयंत चौधरी की आज (बुधवार) को होने वाली मुलाकात में भी इसी मुद्दे पर चर्चा संभव है. सूत्रों के मुताबिक, कैराना फॉर्मूले के तहत एक सीट रालोद को और दी जा सकती है. कैराना लोकसभा उपचुनाव के वक्त सपा और रालोद के बीच जो तालमेल हुआ था, उसके तहत कैराना में रालोद के चुनाव चिन्ह पर सपा के प्रत्याशी ने चुनाव लड़ा था. उसको ही कैराना फॉर्मूला कहा जाता है.
गठबंधन में राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) को मुंहमांगी सीटें न मिलने के बाद भी पार्टी के नेता नाउम्मीद नहीं हैं. पार्टी के नेताओं का कहना है कि अभी गठबंधन में शामिल नेताओं से बात की जाएगी और हमें हमारा वाजिब हक मिलेगा. रालोद के वरिष्ठ नेता मसूद अहमद कहा चुके हैं कि रालोद अभी भी गठबंधन में है, हमारे उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने कुछ दिनों पहले अखिलेश यादव से छह सीटों की मांग की थी, अभी हम नाउम्मीद नहीं है. हमारे नेता जयंत गठबंधन के नेताओं से बातचीत करेंगे और हमें हमारा हक मिलेगा. उन्होंने कहा कि एक हफ्ते में मामला साफ हो जाएगा और हमें उम्मीद है कि गठबंधन के नेता हमारी मांगों पर विचार करेंगे.
रालोद के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे ने कहा कि गठबंधन की सीटें तय हो गई हैं. हमारी अभी वार्ता चल रही है. सीट का कोई मुददा नहीं है, सीटें निकल आएंगी. हमारा मुख्य उद्देश्य बीजेपी को हराना है जिसके लिए सबको साथ आना है. समर्पण भी है, त्याग भी है...मगर सम्मानजनक होना चाहिए.
सूत्रों के मुताबिक, पिछले शनिवार (12 जनवरी) को गठबंधन की औपचारिक घोषणा के बाद दोनों दलों के अध्यक्ष अखिलेश यादव और मायावती अगले एक सप्ताह में यह तय कर लेंगे कि कौन किस सीट पर चुनाव लड़ेगा. साथ ही दोनों दल साझा चुनाव अभियान की भी रूपरेखा जल्द तय कर लेंगे.