देहरादून: उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में छात्रसंख्या लगातार घटती चली जा रही है. पर्वतीय क्षेत्रों के स्कूलों की स्थिति बेहद चिंताजनक है. राज्य के कक्षा 1 से कक्षा 8 तक के स्कूलों में छात्र संख्या साल दर साल कम हो रही है. हर साल करीब 30 से 40 हजार बच्चे कम हो रहे हैं. घटती छात्रसंख्या ने अब सरकार के माथे पर भी बल डाल दिया है कि आखिर कैसे घटती छात्रसंख्या को रोका जाए.
दरअसल, उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों पर पलायन की जबरदस्त मार पड़ रही है. हर साल सरकारी स्कूलों की छात्रसंख्या घटती चली जा रही है. प्रतिवर्ष इन स्कूलो में करीब 30 से 40 हजार छात्र कम होते जा रहे हैं, जो कि एक चिंताजनक स्थिति है. छात्रों की घटती संख्या का आंकड़ा पहाड़ में ज्यादा देखने को मिल रहा है. मैदानी जिलों के मुकाबले पहाड़ी जिलों में छात्रों का पलायन अधिक है.
सरकारी आंकड़ों की मानें तो, साल 2014-15 में जहां प्रदेश में कक्षा 1 लेकर कक्षा 8 तक के छात्रों की कुल संख्या 750917 थी. वहीं, 2018-19 में यह संख्या 601103 पहुंच चुकी है यानी की 2014 लेकर 2019 तक करीब 149,814 छात्र घट गए हैं. शिक्षा विभाग के अधिकारी भी इस बात से चिंतित हैं. घटती छात्रसंख्या के पीछे वे भी पलायन को जिम्मेदार मानते हैं.
छात्रों की घटती संख्या का आलम ये है कि राज्य के करीब 2500 प्राथमिक स्कूल ऐसे हैं, जहां पर छात्र संख्या 10 से कम है. इनमें से करीब तीन सौ से अधिक स्कूलों को तो दूसरे स्कूलों में मिला लिया गया है. बावजूद इसके सैकड़ों स्कूल अभी ऐसे हैं जहां पर छात्रों के अनुपात के मुकाबले शिक्षक ज्यादा है. मानक ऐसे हैं, एक स्कूल में दो शिक्षक होने जरुरी हैं.
वर्ष कक्षा 1 से कक्षा 8 तक कुल छात्रसंख्या
2014-15 750917
2015-16 719685
2016-17 682055
2017-18 643974
2018-19 601103
पूर्व शिक्षा मंत्री खजानदास भी मानते हैं कि सरकारी स्कूलों से हो रहा पलायन चिंताजनक है. साथ ही में वे कहीं न कहीं इसके लिए विभाग को भी जिम्मेदार मानते हैं. शिक्षा विभाग राज्य सरकार का एकलौता ऐसा विभाग है जिसमें सबसे अधिक कर्मचारी हैं. साथ ही उसका बजट भी सबसे अधिक है. यानी की सभी विभागों में सबसे अधिक बजट शिक्षा विभाग का ही है. इसके बावजूद अगर सरकारी स्कूलों की छात्रसंख्या घट रही है तो, ये सरकार के लिए चिंता का कारण है. ये शासन के उन तमाम सारे प्रयोगों और दावों पर भी प्रश्न चिन्ह खड़े करता है, जो कहते हैं कि शिक्षा की बेहतरी के लिए काम किया जा रहा है.