कोरोना महामारी की मार: मूर्तिकारों का ठप पड़ा व्यवसाय, भुखमरी का भी संकट
Advertisement

कोरोना महामारी की मार: मूर्तिकारों का ठप पड़ा व्यवसाय, भुखमरी का भी संकट

नवरात्र में 9 दिन कलश के साथ ही मां दुर्गा की प्रतिमा रख कर श्रद्धालु शक्ति की उपासना करते थे. लेकिन इस बार कोविड 19 महामारी के चलते सार्वजनिक तौर पर दुर्गा पूजा पर रोक लगा दी है. लिहाजा नवरात्र में दुर्गा पूजा की भव्यता तो खत्म ही हो गयी. इसके साथ ही दुर्गा प्रतिमा बनाने वाले कारीगर जो मूर्ति बनाकर साल भर तक अपने घर का भरण पोषण करते थे उनका व्यवसाय भी खतरे में पड़ गया है.

सांकेतिक तस्वीर.

सुल्तानपुर: 17 अक्टूबर से नवरात्रि का पर्व शुरु होने वाला है. शारदीय नवरात्र में बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां दुर्गा की प्रतिमा की स्थापना करते है. इस साल यूपी में कोरोना महामारी के चलते सावर्जनिक तौर पर दुर्गा पूजा के आयोजन पर रोक लगा दी गई है. दुर्गा प्रतिमा बनाने वाले कारीगरों की रोजी रोटी पर संकट के बादल मंडरा रहे है.

बाबरी मस्जिद विध्वंस केस का फैसला सुनाते ही रिटायर हो गए स्पेशल जज सुरेंद्र कुमार

सुल्तानपुर की भव्य दुर्गा पूजा
कोरोना के संकट काल का असर इस बार सुल्तानपुर की ऐतिहासिक दुर्गा पूजा पर भी देखने को मिल रहा है. इस बार श्रद्धालुओं को देवी-देवताओं के मूर्तियों के दर्शन सार्वजनिक स्थल पर नहीं कर पाएंगे. वहीं मूर्ति के कारीगर और देश के प्रसिद्ध मंदिर के सांकेतिक पंडाल बनाने वाले कारीगर भी भुखमरी के कगार पर आ गए हैं. दुर्गा पूजा की भव्यता की बात करें तो कोलकाता के बाद पूरे देश में सुल्तानपुर दूसरे नंबर पर आता है. . 

बाबरी विध्वंस केस का फैसला: पूर्वनियोजित नहीं थी घटना, आडवाणी, जोशी, उमा समेत सभी 32 आरोपी बरी

कोलकाता से आते हैं मूर्तिकार
सुल्तानपुर में ऐतिहासिक दुर्गा पूजा की शुरूआत 1959 में हुई. पिछले साल पूरे जनपद में 895 मूर्तियों की स्थापना की गई थी. इन मूर्तियों को बनाने के लिए कई महीने पहले कोलकाता के कारीगर यहां आकर बस जाते थे और महीनों पहले मूर्तियों को बनाने का काम शुरू कर देते थे. दुर्गा की मूर्तियां बनाने से हुई कमाई से कारीगरों की साल भर की जीविका चलती थी. इस बार कोरोना काल के चलते कोलकाता के कारीगर नहीं आ पाए. इस साल शहर के स्थानीय कारीगर अकेले ही छोटी- छोटी मूर्तियों को अपने घरों की छत पर बना रहे हैं.

नहीं मिल रहे ऑर्डर
मूर्तिकारों का कहना है कि हर साल 6 से 7 महीने पहले मूर्तियों का ऑर्डर मिल जाता था. जिसे स्थानीय कारीगर, पश्चिम बंगाल से आए हुए कारीगरों के साथ मिलकर सैकड़ों मूर्तियां बनाते थे. कारीगरों ने बताया कि इस साल मूर्तियों के ऑर्डर बहुत ही कम मिले हैं और साथी कारीगरों के ना आने से अकेले ही काम करना पड़ रहा है. इस बार हालात इतने खराब हैं कि मूर्तिकारों को जीविका चलाना भी मुश्किल हो गया है. 

हाथरस घटना पर कुमार विश्वास का ट्वीट ''भगत सिंह को भी आधी रात बिना अंतिम संस्कार जलाया था''

केंद्रीय पूजा समिति के अध्यक्ष ओम प्रकाश पांडे ने बताया कि उनके पास बंगाल के कारीगरों का फोन आया था. कोरोना संक्रमण के चलते सरकार की गाइडलाइन मिलने के बाद ही आने के लिए कहा गया है. इस बार की गाइडलाइन के अनुसार सार्वजनिक स्थलों पर मूर्ति स्थापना नहीं की जा सकती. जिससे मूर्तिकारों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. उन्होंने कहा कि फिलहाल हम गाइडलाइन के मुताबिक ही काम करेंगे और ईश्वर से प्रार्थना करेंगे कि जल्द ही इस महामारी से पूरे विश्व को मुक्ति मिले. जिससे अगले साल भव्य दुर्गा पूजा हो सके और मूर्तिकार और पंडाल के कारीगरों को रोजगार मिल सके.

लोगों का मानना- मूल अधिकारों का हनन कर रहा 'पाताल लोक', मगर हाईकोर्ट ने नहीं लगाई रोक

बाकी स्थानों का भी है यही हाल
ऐसा ही हाल भोलेनाथ की नगरी काशी का भी है. बनारस में भी शक्ति की उपासना बड़ी श्रद्धा से की जाती है, लेकिन कोरोना ने इस बार दुर्गा पूजा की सारी रौनक फीकी कर दी है. हाईकोर्ट ने इस बार कोरोना संक्रमण को देखते हुए दुर्गा पूजा पर रोक लगा दी है. यही कारण है कि दुर्गा प्रतिमा बनाने वाले कारीगर के पास अभी तक कोई ऑर्डर नहीं आया. जिससे वाराणसी के कारीगरों का भी व्यवसाय ठप पड़ा हुआ है. गौरतलब है कि वाराणसी में भी दुर्गा पूजा धूमधाम से मनाई जाती है, लेकिन रोक लगने से काशीवासी काफी दुखी हैं. अब बनारस में लोग सरकार से कोविड की गाइडलाइंस का पालन कराते दुर्गा पूजा कराने की मांग कर रहे हैं. 

WATCH LIVE TV

 

Trending news