कौशांबी-गाजियाबाद रूट में जल्द खत्म होगा ट्रैफिक का झंझट, SC ने बनाई स्पेशल कमेटी
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कौशांबी-गाजियाबाद रूट में जल्द खत्म होगा ट्रैफिक का झंझट, SC ने बनाई स्पेशल कमेटी

कौशांबी अपार्टमेंट रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष और कॉपरेटिव सोसाइटी आशापुष्प विहार आवास विकास समिति लिमिटेड द्वारा एक याचिका दायर की गई थी. जिसके संबंध में जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस संजीव खन्ना की खंडपीठ ने यह निर्देश पारित किया. 

फाइल फोटो.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कौशांबी-गाजियाबाद रूट में यातायात प्रबंधन संबंधी समस्या का संज्ञान लेते हुए एक समिति का गठन किया है. ताकि व्यापक यातायात प्रबंधन योजना विकसित की जा सके. इस समिति में दिल्ली और उत्तर प्रदेश के संवैधानिक प्राधिकरणों के प्रतिनिधि शामिल हैं. 

दायर हुई थी याचिका 
दरअसल, कौशांबी अपार्टमेंट रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष और कॉपरेटिव सोसाइटी आशापुष्प विहार आवास विकास समिति लिमिटेड द्वारा एक याचिका दायर की गई थी. जिसके संबंध में जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस संजीव खन्ना की खंडपीठ ने यह निर्देश पारित किया. 

इन समस्याओं को लेकर दायर की गई है याचिका 
याचिका में ट्रैफिक प्रबंधन के अलावा पर्यावरण प्रदूषण और नगरपालिका के ठोस कचरे के अप्रतिबंधित डंपिंग जैसे कई मुद्दों पर प्रकाश डाला गया है. याचिका में बताया गया है कि क्षेत्र में रहने वाले लोग सांस संबंधी गंभीर समस्याओं से पीड़ित हैं. इसके अलावा दूषित भूजल की भी बात कही गई. वहीं, पीठ ने पहली बार में यातायात प्रबंधन की समस्या को उठाने का फैसला किया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसके लिए एक ‘‘व्यापक यातायात प्रबंधन योजना’’ प्रस्तुत की जानी चाहिए. इसके लिए एक समिति का गठन भी किया गया है. 

पीठ ने कहा, "जिन समस्याओं से कौशांबी और गाजियाबाद के निवासियों का सामना हो रहा है, उन्हें सामान्य रूप से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के व्यापक संदर्भ से अलग तरीके से नहीं माना जा सकता है. यह केवल एक मामला नहीं है, जो कि संबंधित है. इस मामले के लिए अकेले गाजियाबाद विकास प्राधिकरण या उत्तर प्रदेश राज्य के भीतर अन्य प्राधिकरण, दिल्ली, पूर्वी दिल्ली नगर निगम के साथ-साथ वैधानिक प्राधिकरणों के दिल्ली सरकार के NCT के भीतर अधिकारियों की ओर से समन्वित प्रयास होना चाहिए. इसके लिए उत्तर प्रदेश राज्य के क्षेत्र में अधिकार क्षेत्र है."

समिति में शामिल होंगे ये सदस्य:-
संभागीय आयुक्त, मेरठ
चेयर पर्सन, गाजियाबाद विकास प्राधिकरण
नगर आयुक्त, गाजियाबाद नगर निगम
जिला मजिस्ट्रेट, गाजियाबाद
UPSRTC के अध्यक्ष
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, गाजियाबाद
नगर आयुक्त, पूर्वी दिल्ली नगर निगम
पुलिस आयुक्त द्वारा नामित किया जाने वाला एक वरिष्ठ अधिकारी
दिल्ली सरकार के एनसीटी के परिवहन सचिव

कोर्ट ने कहा कि गाजियाबाद के जिलाधिकारी समिति के नोडल अधिकारी होंगे. व्यापक यातायात प्रबंधन योजना 3 हफ्ते के अंदर प्रस्तुत की जानी है. कोर्ट ने कहा,"जब तक सभी अधिकारी एक साथ मिलकर और संयुक्त रूप से यातायात समस्याओं के प्रबंधन के लिए ठोस प्रयास पर सहमत नहीं होंगे, तब तक समस्या का समाधान संभव नहीं होगा."  

कोर्ट ने आगे कहा: "इनमें से कुछ समस्याएं मूल रूप से गाजियाबाद की नहीं हैं, जैसे कि टोल बूथों पर वाहनों के बैकअप के कारण होने वाली समस्या. गाजियाबाद के भीतर अंतर-राज्य बसों सहित अन्य सार्वजनिक सेवा वाहनों की पार्किंग के लिए पर्याप्त जगह का अभाव है. इनमें से वाहनों को सेवा मार्गों सहित सार्वजनिक सड़कों पर बेतरतीब ढंग से पार्क किया जाता है. वास्तव में, याचिकाकर्ता द्वारा जो बताया गया है उस पूरे परिदृश्य में हम पाते हैं."

न्यायालय ने कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पहले क्षेत्र को प्रभावित करने वाली समस्याओं के समाधान के लिए कई दिशा-निर्देश दिए थे. हालांकि, जमीनी स्तर पर स्थिति काफी हद तक नहीं बदली है. इस मामले को कानून प्रवर्तन मुद्दे के रूप में विशेष रूप से यातायात प्रबंधन के क्षेत्र में लागू करने से समस्या का समाधान नहीं होगा. स्थिति से निपटने के लिए एक व्यापक यातायात प्रबंधन योजना तैयार की जानी चाहिए." 

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील गौरव गोयल ने कहा कि निवासियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें से ये समस्याएं प्रमुख हैं-
(i) सर्विस रोड सहित सार्वजनिक सड़कों पर तीन पहिया वाहनों और अन्य वाहनों की हापज़ार्ड पार्किंग
(ii) सार्वजनिक सेवा वाहनों की पार्किंग के लिए पर्याप्त स्थान का अभाव
(iii) उत्तर प्रदेश राज्य रोड परिवहन निगम द्वारा प्रस्तावित बसों से उत्पन्न प्रदूषण
(iv) वाहनों द्वारा प्रेशर हॉर्न का उपयोग
(v) कानून प्रवर्तन मशीनरी द्वारा कार्यान्वयन की कुल अनुपस्थिति जिसके कारण पैदल चलने वालों और क्षेत्र के निवासियों को गंभीर कठिनाई होती है. 

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