अयोध्या मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई; रामलला विराजमान की जारी रहेंगी दलीलें
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अयोध्या मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई; रामलला विराजमान की जारी रहेंगी दलीलें

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि सप्ताह में 5 दिन ही सुनवाई होगी. इस अवधि में कोई कटौती नहीं की जाएगी.

अयोध्या मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई; रामलला विराजमान की जारी रहेंगी दलीलें

नई दिल्‍ली: अयोध्या मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में आज सुनवाई होगी. रामलला विराजमान की दलीलें जारी रहेंगी. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्षकार के वकील राजीव धवन से कहा था कि अगर आप बीच में छुट्टी लेना चाहें तो ले सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने धवन से कहा था कि अगर वह आराम करना चाहें तो किसी भी दिन अदालत को बता कर छुट्टी कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि सप्ताह में 5 दिन ही सुनवाई होगी. इस अवधि में कोई कटौती नहीं की जाएगी और रोजाना सुनवाई होगी.

पिछली सुनवाई में रामलला की तरफ से पेश वकील परासरन ने कहा था कि हम ये नहीं कह रहे कि पूरी अयोध्या ज्यूरिस्ट परसन है और हम जन्मभूमि की बात कह रहे हैं. जस्टिस बोबड़े ने पूछा था कि क्या इस समय रघुवंश कुल में कोई इस दुनिया में मौजूद है. परासरण ने कहा था कि मुझे नहीं पता.

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परासरन ने रामायण में उल्लेख था कि सभी देवता भगवान विष्णु के पास गए और रावण के अंत करने की बात कही तब विष्णु ने कहा था कि इसके लिए उन्हें अवतार लेना होगा. इस बारे में जन्मभूमि का वर्णन किया गया है और इसका महत्व है. हिन्दू शास्त्र में जन्मस्थान की महत्ता स्पष्ट है और हिन्दुओं से संबंधित कानून उसी शास्त्र पर आधारित है. मंदिर की परिक्रमा के साथ पूरे परिसर की परिक्रमा भगवान की आराधना है. परासरण ने पुष्कर, मधुरई समेत तमाम स्थानों का उदाहरण दिया था. पिछले गुरुवार को रामलला विराजमान की तरफ से जारी बहस में पेश वकील के परासरन ने 'जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादिप गरीयसि' संस्‍कृत श्लोक का हवाला देते हुए कहा था कि जन्मभूमि बहुत महत्वपूर्ण होती है. राम जन्मस्थान का मतलब एक ऐसा स्थान जहां सभी की आस्था और विश्वास है.

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जस्टिस अशोक भूषण ने रामलला के वकील से पूछा था कि क्या कोई जन्मस्‍थान एक न्यायिक व्यक्ति हो सकता है?.हम एक मूर्ति को एक न्यायिक व्यक्ति होने के बारे में समझते हैं, लेकिन एक जन्‍मस्‍थान पर कानून क्या है? रामलला के वकील के परासरन ने कहा था कि यह एक सवाल है जिसे तय करने की जरूरत है. जस्टिस बोबड़े ने उत्तराखंड HC के फैसले का ज़िक्र किया जिसमें नदी को जीवित व्यक्ति बताते हुए अधिकार दिया गया था. इस बीच सुनवाई शुरू होते ही सुब्रह्मण्यम स्वामी ने अपनी रिट याचिका का कोर्ट में खड़े होकर ज़िक्र करना चाहा लेकिन कोर्ट मे उन्हें रोक दिया था.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उचित समय आने पर उन्हें सुनेंगे. स्वामी ने याचिका में रामलला की पूजा अर्चना के अबाधित मौलिक अधिकार की मांग की है.रामलला विराजमान ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि हिन्दुओं को पूजा के अधिकार से वंचित रखना अपने आप में भगवान यानी रामलला को अदालत का दरवाजा खटखटाने का अधिकार प्रदान करता है, क्योंकि जिस तरह गंगा सजीव हैं उसी तरह रामलला.कोर्ट ने दूसरे पक्षों से पूछा जो अपील फ़ाइल की गई है सूट 5 में क्या उनको अलग से सुना जाए.मुस्लिम पक्ष ने कहा था कि जब वो अपनी अपील पर बहस करेंगे, तब वो अपना पक्ष रखेंगे.

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