अयोध्या मुद्दे पर सबूतों के आधार पर दिया गया सुप्रीम कोर्ट का फैसला हमें मान्य होगा: मौलाना सैयद अरशद मदनी
जमीयत उलेमा हिन्द के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा है कि हमें पूर्ण विश्वास है कि कोर्ट का फैसला आस्था की बुनियाद पर ना होकर कानूनी दायरे में होगा और कोर्ट के फैसले को जमीयत उलेमा-ए-हिंद ससम्मान स्वीकार करेगी.
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नई दिल्ली: अयोध्या विवाद (Ayodhya Dispute) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आने वाले फैसले से पहले जमीयत उलेमा हिन्द के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा है कि वर्तमान में देश आंतरिक और बाहरी दोनों स्तर पर चुनौतियों से गुजर रहा हैं और हालात चिंताजनक हैं. मदनी ने कहा कि मुसलमानों का दृष्टिकोण पूर्णतः ऐतिहासिक तथ्यों, सबूतों और साक्ष्यों के आधार पर हैं और बाबरी मस्जिद का निर्माण किसी मंदिर को तोड़कर या किसी मंदिर की जगह पर नहीं किया गया था. हमें पूर्ण विश्वास है कि कोर्ट का फैसला आस्था की बुनियाद पर ना होकर कानूनी दायरे में होगा और कोर्ट के फैसले को जमीयत उलेमा-ए-हिंद ससम्मान स्वीकार करेगी.
मदनी ने कहा कि आज कश्मीर से कन्याकुमारी तक मौजूदा परिस्थितियों से लोग डरे सहमे हैं और एक अविश्वास की भावना आई हैं.
मौलाना मदनी ने अनुच्छेद 370 का जिक्र करते हुए कहा कि किसी भी समस्या का हल सिर्फ और सिर्फ बातचीत से ही निकाला जा सकता हैं और हमें कश्मीरियों से बातचीत के दरवाजे खुले रखने चाहिए, क्योंकि ताकत के बल पर जन आंदोलनों का मुकाबला नहीं किया जा सकता हैं और अभी अनुच्छेद 370 का मामला कोर्ट में हैं और हमें ये पूर्ण विश्वास है कि कश्मीरियों के साथ न्याय होगा.
अंत में मौलाना मदनी ने कहा कि हमारे मतभेद किसी भी राजनीतिक दल या संगठन से नहीं हैं, बल्कि हमारा विरोध हमेशा से ही उस विचारधारा से हैं जो देश की गंगा-जमुनी तहजीब और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को खत्म करने की होती हैं. आज जिस तरह से गाय के नाम पर तो कभी जय श्री राम के नाम पर धार्मिक जुनून पैदा करके देश की हिन्दू-मुस्लिम बुनियाद हिलाने की कोशिश हो रही हैं वो शर्मनाक है.
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