ताज संरक्षण के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई मंगलवार को
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ताज संरक्षण के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई मंगलवार को

 सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता एमसी मेहता ने ताज ट्रेपेजियम ज़ोन के पुर्नगठन की मांग उठाई थी और कहा था कि भुरेलाल कमेटी के जैसा ही एक कमेटी का गठन होना चाहिए जो ताज के देखभाल का काम देखे.

फाइल फोटो

नई दिल्लीः ताजमहल संरक्षण मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई होगी.जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी.दरअसल, पिछली सुनवाई में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने बताया था कि पर्यावरण मंत्रालय के जॉइंट सेक्रेटरी केंद्र सरकार की तरफ से और ताज ट्रेपेजियम ज़ोन के अध्यक्ष यानी आगरा मंडल के कमिश्नर यूपी सरकार की तरफ से ताज संरक्षण के जवाबदेह अधिकारी होंगे. कोर्ट ने सुझाव को मंज़ूर करते हुए कहा था कि अब आगे से ये दोनों अधिकारी ही हलफनामा दाखिल करेंगे. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता एमसी मेहता ने ताज ट्रेपेजियम ज़ोन के पुर्नगठन की मांग उठाई थी और कहा था कि भुरेलाल कमेटी के जैसा ही एक कमेटी का गठन होना चाहिए जो ताज के देखभाल का काम देखे.जिसपर कोर्ट ने याचिकाकर्ता को तीन हफ़्ते में लिखित में सुझाव देने को कहा था.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल संरक्षण को लेकर कड़ी नाराजगी जताते हुए केंद्र और यूपी सरकार को आदेश दिया था कि वो कोर्ट को बताए कि आख़िरकार ताज के संरक्षण के लिए केन्द्र, राज्य सरकार, पुरातत्व विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित किस विभाग में कौन अधिकारी जिम्मेदार है? क्या हम इसे सुधारेंगे? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को ये भी आदेश दिया था कि वे इसके लिए अधिकारियों और अथॉरिटियों को नियुक्त करें, जो ताजमहल के रखरखाव का काम करेगी और ताज ट्रेपेजियम जोन को फिर से विकसितकरेगी.जस्टिस लोकुर ने कहा था कि इस मामले में किसी एक अधिकारी के पास अधिकार होना चाहिए और उसी पर इसकी जवाबदेही होनी चाहिए. 

सुप्रीम कोर्ट ने आगरा के डीएम की कोर्ट में पेशी के दौरान फटकार लगाते हुए कहा था कि ताज के आसपास प्रदूषण फैलाने वाली अवैध इंडस्ट्री चल कही हैं, लेकिन डीएम कुछ नहीं कर रहे हैं. कोर्ट ने कहा था कि विजन डॉक्यूमेंट तैयार करने में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को नहीं शामिल किया गया है. ऐसे में क्या इसे सही माना जाएं? कोर्ट के मुताबिक कोई भी संस्था ताज महल के प्रदूषण नियंत्रण की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहती है. हालांकि किसी न किसी को जिम्मेदारी लेनी होगी, फिर चाहे इसकी जिम्मेदारी पर्यटन मंत्रालय, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड या फिर कोई और ले.कोर्ट ने कहा था कि मैंने अनुभव किया है कि सभी संस्थाएं ताजमहल प्रदूषण नियंत्रण मामले में अपने हाथ धो रही हैं. कोर्ट ने केंद्र और यूपी सरकार से उन अधिकारियों और प्राधिकरण का नाम बताने को कहा है, जिन्हें ताजमहल के रखरखाव और ताज संरक्षित क्षेत्र के पुनर्विकास की जिम्मेदार सौंपी जा सके. कोर्ट के मुताबिक कोई भी संस्था ताज महल के प्रदूषण नियंत्रण की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहती है. हालांकि, किसी न किसी को जिम्मेदारी लेनी होगी, फिर चाहे इसकी जिम्मेदारी पर्यटन मंत्रालय, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड या फिर कोई और ले. 

आपको बता दें कि 24 जुलाई को उत्तर प्रदेश सरकार ने ताजमहल संरक्षण के लिए बन रहे विजन डॉक्यूमेंट का शुरुआती ड्राफ्ट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया था. ड्राफ्ट विजन डॉक्यूमेंट में कहा गया था कि ताजमहल के आसपास के पूरे इलाके को 'नो प्लास्टिक जोन' घोषित किया जाए, वहांबोतलबंद पानी पर प्रतिबंध लगाया जाए. विजन डॉक्यूमेंट में प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्री पर बैन लगाने की भी बात की गई है. साथ ही यूपी सरकार ने कहा था कि ताजमहल के प्रदूषणकारी उद्योग हटेंगे और यमुना रिवरफ्रंट के साथ पदयात्रियों के लिए सड़क बनेगी,इससे यातायात घटेगा. 

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