कल शीतकाल के लिए बंद हो जाएंगे बद्रीनाथ धाम के कपाट, अब देवता करेंगे पूजा
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कल शीतकाल के लिए बंद हो जाएंगे बद्रीनाथ धाम के कपाट, अब देवता करेंगे पूजा

भगवान बद्रीविशाल के कपाट 17 नवंबर शाम 5 बजकर 13 मिनट पर शीतकाल के लिए बंद होने जाएंगे.

शनिवार को कपाट बंद करने की प्रक्रिया में मुख्य पुजारी रावल की स्त्री रूप रख कर मां लक्ष्मी को न्योता देने गये. (फाइल फोटो)

पुष्कर चौधरी/चमोली: बद्रीनाथ धाम के कपाट कल यानी 17 नवंबर को शाम 5 बजकर 13 मिनट पर बंद कर दिए जाएंगे. भगवान बद्रीविशाल के कपाट शीतकाल के लिये बंद हो जाएंगे. माना जाता है कि बद्रीनाथ धाम में 6 महीने मनुष्य द्वारा पूजा की जाती है और 6 महीने देवताओं के द्वारा पूजा की जाती है. ग्रीष्मकाल में मानव यहां भगवान बद्रीविशाल की पूजा करते हैं और शीतकाल में देवताओं द्वारा पूजा की जाती है.

भगवान बद्रीविशाल के कपाट 17 नवंबर शाम 5 बजकर 13 मिनट पर शीतकाल के लिए बंद होने जाएंगे. रविवार को भगवान बद्रीनाथ के शीतकाल के लिए अंतिम दर्शन होंगे. वहीं, शनिवार को बद्रीनाथ धाम को 55 कुंटल रंग बिरंगे फूलों से सजाया गया. भगवान के अंतिम दर्शनों के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु कपाट बंद होने के अवसर पर बद्रीनाथ धाम पहुंचने लगे हैं. रविवार सुबह भगवान बद्रीविशाल का फूलों से श्रृंगार किया जाएगा. कल कोई रत्न जड़ित मुकुट या माला भगवान बद्री विशाल की मूर्ति पर नहीं लगाया जाएगा. पूरे दिन भगवान बद्रीविशाल के कपाट खुले रहेंगे. दोपहर में भोग लगने के बाद भी भगवान का मंदिर रविवार को बंद नहीं होगा. 

वहीं, शनिवार को कपाट बंद करने की प्रक्रिया में मुख्य पुजारी रावल की स्त्री रूप रख कर मां लक्ष्मी को न्योता देने गये. 17 नवंबर को मां लक्ष्मी का स्त्री रूप रखकर रावल बद्रीश पंचायत में मां लक्ष्मी को विराजमान करेंगे और उसके साथ ही भगवान बद्रीविशाल के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे. इस वर्ष बद्रीनाथ की यात्रा ने नया रिकॉर्ड कायम किया है. इस बार बद्रीनाथ धाम में 12 लाख 25 हजार श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं. वहीं, अगले वर्ष इससे अधिक श्रद्धालुओं के बद्रीनाथ धाम पहुंचने की उम्मीद है. जिसके लिए बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति पूरी तैयारियों में जुट गई है.

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