गंगा को बचाने के लिए साध्वी पद्मावती का अनशन 29वें दिन भी जारी, ये हैं मांगें
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गंगा को बचाने के लिए साध्वी पद्मावती का अनशन 29वें दिन भी जारी, ये हैं मांगें

मातृ सदन के दो अन्य संत निगमानंद और स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद भी गंगा को बचाने के लिए अनशन करते हुए देहावसान को प्राप्त कर चुके हैं. दोनों संतों ने मातृ सदन में काफी लंबा अनशन किया था, जिसके उपरांत उनका देहावसान हो गया था. 

गंगा को बचाने के लिए साध्वी पद्मावती का अनशन 29वें दिन भी जारी, ये हैं मांगें

रामा अनुज/हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार के मातृ सदन में 15 दिसंबर से साध्वी पद्मावती गंगा को बचाने को लेकर अनशन कर रही हैं. मातृ सदन के संत परंपरा को आगे बढ़ाने का उनका दावा है. मातृ सदन के दो अन्य संत निगमानंद और स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद भी गंगा को बचाने के लिए अनशन करते हुए देहावसान को प्राप्त कर चुके हैं.

दोनों संतों ने मातृ सदन में काफी लंबा अनशन किया था, जिसके उपरांत उनका देहावसान हो गया था. साध्वी पद्मावती नालंदा विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में ग्रेजुएट हैं. वह अनशन कर रही हैं. साध्वी पद्मावती ने सरकार के सामने 6 मांगे रखी हैं, जिनमें गंगा पर प्रस्तावित और निर्माणाधीन बांधों को रोकने की मांग भी शामिल है.

उन्होंने गंगा एक्शन कमेटी में मातृ सदन की मांगों को भी शामिल करने के साथ ही एनजीटी के जज राघवेंद्र राठौर और हरिद्वार के एसएसपी को हटाने की मांग की है. उनका कहना है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होती हैं वह अपने अनशन को जारी रखेंगी. 

सरकार से वार्ता के लिए नहीं आया है बुलावा
साध्वी पद्मावती हरिद्वार में पिछले 29 दिनों से अनशन कर रही हैं मगर अभी तक सरकार की तरफ से वार्ता का बुलावा नहीं आया है. किसी सरकारी नुमाइंदे ने उनसे बात भी नहीं की है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि हरिद्वार संतों की नगरी है, योग नगरी है. सीएम का कहना है कि यदि गंगा को लेकर किसी को कोई समस्या है तो उसका समाधान वार्ता के जरिए हो सकता है.

नमामि गंगे प्रोजेक्ट पर संतों ने उठाए सवाल
मुख्यमंत्री ने कहा कि गंगा बचाने और शुद्ध रखने के लिए आम लोगों की सहभागिता बहुत जरूरी है. संत समाज का कहना है कि 'नमामि गंगे' के जरिए गंगा के सफाई अभियान की बात हो रही है, मगर हकीकत कुछ और है. उनका आरोप है कि नमामि गंगे की धनराशि पर बंदरबांट किया जा रहा है.

गौरतलब है कि नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत होने वाले कामों को मार्च 2020 में समाप्त करने का दावा किया गया है. संतों का कहना है कि नमामि गंगे के जरिए होने वाला काम नगर पालिकाओं, नगर परिषदों और नगर निगमों का है. क्योंकि शहरों से निकलने वाले नालों की साफ-सफाई और देखरेख का काम स्थानीय प्रशासन का होता है.

ऐसे में गंगा के किनारे पर बसे शहरों के नगर निगम की पूरी कोशिश होनी चाहिए की नमामि गंगे अभियान में पारदर्शिता के साथ काम हो. मातृ सदन के संत शिवानंद का कहना है कि सरकार कई बार आश्वासन दे चुकी है, मगर अभी तक किसी तरह से उनकी मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं की गई है. संत समाज केंद्र सरकार के रवैए से नाराज है, ऐसे में देखना है कि सरकार अनशनरत साध्वी पद्मावती से बात करती है या नहीं.

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