आज श्रावण पूर्णिमा के साथ सोमवार, शिव की पूजा से होगी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति
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आज श्रावण पूर्णिमा के साथ सोमवार, शिव की पूजा से होगी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति

आज सावन महीने का पांचवा और आखिरी सोमवार है. यूं तो भगवान शिव को सोमवार का दिन प्रिय है ही, लेकिन आज के सोमवार के साथ श्रावण पूर्णिमा की तिथि भी जुड़ी हुई है. सावन में भोलेनाथ की पूजा और उपासना का विशेष महत्व होता है.

सांकेतिक तस्वीर

आज सावन महीने का पांचवा और आखिरी सोमवार है. यूं तो भगवान शिव को सोमवार का दिन प्रिय है ही, लेकिन आज के सोमवार के साथ श्रावण पूर्णिमा की तिथि भी जुड़ी हुई है. सावन में भोलेनाथ की पूजा और उपासना का विशेष महत्व होता है. यूं तो सावन महीने का ही खास महत्व होता है, लेकिन इस बार सवान का आखिरी सोमवार भी कई मायनों में खास है. 

पूर्णिमा के साथ सावन के सोमवार का महत्व 
श्रावण का अंतिम सोमवार पूर्णिमा के दिन पड़ा है. चंद्रमा को पूर्णिमा का देवता माना जाता है और सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित हैं. इसलिए पूर्णिमा और सोमवार का अद्भुत संयोग शिवभक्तों के लिए काफी खास है. इसे सौम्या तिथि माना जाता है. इस दिन चंद्रदेव और भोलेनाथ की पूजा करने से हर क्षेत्र में विजय प्राप्त होती है. 

श्रवण नक्षत्र का आगमन 
सावन के आखिरी सोमवार के दिन पूर्णिमा तिथि है. इस तिथि पर चंद्रमा श्रवण नक्षत्र पर होता है. कई मान्यताओं में श्रवण नक्षत्र के तीन तारों की भगवान शिव के त्रिशूल से तुलना की जाती है. वहीं पौराणिक मान्यता ये भी है कि भगवान विष्णु ने वामन अवतार के समय जब ब्रह्मांड नापा तब उनका तीसरा पैर श्रवण नक्षत्र पर ही पड़ा था. 
इस दिन चंद्रमा के मकर राशि में होने से प्रीति योग बन रहा है. ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, यह शुभ संयोग सुबह 6 बजकर 40 मिनट तक रहेगा. 

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भोलेनाथ के जलाभिषेक के लिए उमड़े भक्त 
सावन के आखिरी सोमवार को भगवान शिव के जलाभिषेक के लिए मंदिरों और शिवालयों में भक्तों की भीड़ दिखाई दे रही है. हालांकि कोरोना काल की वजह से श्रद्धालुओं की संख्या में कमी जरूर दिखी है, लेकिन प्रसिद्ध मंदिरों तक श्रद्धालु जलाभिषेक करने पहुंच रहे हैं. इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग और जरूरी एहतियात का खास ख्याल रखा जा रहा है. 
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे और लाइन में लग कर जलाभिषेक किया. मंदिर प्रशासन भी सरकार द्वारा जारी की गई कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन करते हुए श्रद्धालुओ को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराते हुए बिना मास्क के श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश नहीं दे रही है. बाबा विश्वनाथ बारह ज्योतिर्लिंगों में अहम स्थान रखते हैं. ऐसे में इस अद्भुत संयोग पर उनके जलाभिषेक से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है.  

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