नेत्रहीन विद्यालय के बच्चों को वेटलैंड डे के अवसर पर पक्षी दिखाने के बहाने शहर से 45 किलोमीटर दूर ले जाया गया. ठंड के मारे बच्चों की हालत खराब हो गई. प्रदेश सरकार की नजरों में अपने नंबर बढ़ाने के लिए सरकारी कर्मचारी बच्चों को सारस दिखाने गए थे.
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इटावा: सरकारी अधिकारियों ने दिव्यांग (नेत्रहीन) बच्चों के साथ भद्दा मज़ाक किया है. यहां के नेत्रहीन विद्यालय के बच्चों को वेटलैंड डे के अवसर पर पक्षी दिखाने के बहाने शहर से 45 किलोमीटर दूर ले जाया गया. ठंड के मारे बच्चों की हालत खराब हो गई. प्रदेश सरकार की नजरों में अपने नंबर बढ़ाने के लिए सरकारी कर्मचारी बच्चों को सारस दिखाने गए थे.
बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि जब बच्चे देख ही नहीं सकते हैं तो भला उन्हें पक्षी दिखाने के नाम पर ठंड में क्यों परेशान किया गया. इस बारे में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अजय कुमार सिंह ने कहा है कि मेरे संज्ञान में मामला आया है उस नेत्रहीन विद्यालय की प्रिंसिपल के खिलाफ जांच कर सख्त कार्रवाई की जाएगी.
इटावा में सारस दिखाने के नाम पर नेत्रहीन बच्चों के साथ भद्दा मजाक किया गया है. शहर से 45 किलोमीटर दूर पर्यटन विभाग की ओर से बने सरसई नावर वेटलैंड में बच्चों को सारस दिखाने के लिए कड़कड़ाती ठंड में ले जाया गया. सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि जब बच्चे पहले से ही नेत्रहीन हैं और घने कोहरे में कैसे सारस को देख पाएंगे, लेकिन अधिकारी अपने नंबर बढ़ाने के उद्देश्य से काफी संख्या में बच्चों को ले गए.
आपको बता दें कि डायट परिसर में संचालित एक्सिलिरिटेड लर्निंग कैंप के यह सभी बच्चे हैं. इन बच्चों के साथ डीएफओ और उनकी टीम पक्षी विहार में पक्षियों को दिखाने गई हुई थी. इस पूरे मामले में बेसिक शिक्षा अधिकारी का कहना है कि मेरी जानकारी में नहीं था आप लोगों के द्वारा मामला संज्ञान में आया है और इसमें जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ सख्त कर्रवाई की जाएगी. बच्चों को जो दिक्कत हुई है यह अच्छा नहीं है. इस मामले की जांच कराएंगे और जो भी जांच में आएगा उस आधार पर कार्रवाई होगी.