अंधेरे और गर्मी में इमरजेंसी में भर्ती मरीजों का बुरा हाल होने लगा तो तीमारदार अपने-अपने मरीजों को गर्मी से बचाने के लिए इमरजेंसी कक्ष से बाहर उन्हें खुले में लेकर जाने लगे. इसी दौरान गांव सोखना निवासी विनोद कुमार सारस्वत अपने मरीज को लेकर जिला अस्पताल की इमरजेंसी में पंहुचे, जहां डॉक्टर ने मोबाइल की टार्च में मरीज का इलाज किया.
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पुलकित मित्तल, हाथरस: कुछ सरकारी अस्पताल सरकार के बेहतर इलाज के दावों की हवा निकालने में जुटे हैं. मामला उत्तर प्रदेश के हाथरस जिला अस्पताल के इमरजेंसी विभाग में सामने आया है. यहां डॉक्टर मोबाइल टॉर्च की रोशनी में मरीजों का इलाज कर रहे हैं. घटना गुरुवार देर रात का है, जब जिला अस्पताल में गुरुवार रात को लाइट नहीं थी. ऐसे में अस्पताल में भर्ती मरीजों के इलाज के लिए जनरेटर से लाइट का प्रबंध होना चाहिए था. लेकिन यहां रात को करीब चार घंटों तक इमरजेंसी में न तो लाइट आई और ना ही जनरेटर से लाइट का प्रबंध किया गया.
अंधेरे और गर्मी में इमरजेंसी में भर्ती मरीजों का बुरा हाल होने लगा तो तीमारदार अपने-अपने मरीजों को गर्मी से बचाने के लिए इमरजेंसी कक्ष से बाहर उन्हें खुले में लेकर जाने लगे. इसी दौरान गांव सोखना निवासी विनोद कुमार सारस्वत अपने मरीज को लेकर जिला अस्पताल की इमरजेंसी में पंहुचे, जहां डॉक्टर ने मोबाइल की टार्च में मरीज का इलाज किया.
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इस मामले में ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक ने बताया कि अस्पताल में लाइट नहीं है और जनरेटर ख़राब पड़ा हुआ है. इसके बारे में उन्होंने सीएमएस को अवगत करा दिया है. उनकी माने तो इस स्थिति में जैसे भी संभव है मरीजों का इलाज किया जा रहा है.