कुछ दिन पहले ही मंदिर के जो अवशेष जुटाए गए हैं, उनमें सांख्यलिपि का प्रयोग किया गया है. एएसआई ने बताया है कि इनमें महेंद्रादित्य के नाम का जिक्र है, जो गुप्तकालीन शासक कुमारगुप्त प्रथम थे...
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आगरा: Archaeological Survey of India (ASI) ने उत्तर प्रदेश में ऐसा मंदिर ढूंढ निकाला है, जो करीब 1500 साल पुराना है. इस मंदिर के अवशेष यूपी के एटा में मिले हैं. जो जानकारी जुटाई जा सकी है, उसके हिसाब से मंदिर 5वीं शताब्दी का हो सकता है. बताया जा रहा है कि एटा के बिलसढ़ गांव में एएसआई नियमित तौर पर सफाई कर रहा था, जब इस मंदिर के अवशेषों को खोजा गया.
संख्यालिपि का किया गया है इस्तेमाल
दरअसल, कुछ दिन पहले ही मंदिर के जो अवशेष जुटाए गए हैं, उनमें सांख्यलिपि का प्रयोग किया गया है. एएसआई ने बताया है कि इनमें महेंद्रादित्य के नाम का जिक्र है, जो गुप्तकालीन शासक कुमारगुप्त प्रथम थे. बता दें, कुमारगुप्त फर्स्ट ने 5वीं सेंचुरी में 40 साल तक राज किया था. उनका शासन उत्तर मध्य भारत में था.
4थी से 6वीं शताब्दी में हुआ सांख्यलिपि का इस्तेमाल
मीडिया रिपोर्ट्से के मुताबिक, अवशेषों में सांख्यलिपि में कुछ लिखा हुआ है. जहां तक समझा जा सका है, उनपर महेंद्रादित्य का नाम है. सांख्यलिपि एक प्राचीन शैली की लिखावट है, जो 4थी से 6वीं शताब्दी में इस्तेमाल में लाई गई थी. इस लिखावट का प्रयोग नाम और हस्ताक्षर के लिए किया जाता था.
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गुप्त काल का मिला तीसरा मंदिर
इस मंदिर की खोज के साथ यह गुप्तकाल का तीसरा मंदिर है, जो एएसआई ने पाया है. बताया जाता है कि गुप्त शासक पहले थे, जिन्होंने ब्राह्मणों, बौद्ध और जैन अनुयायियों के लिए संरचनात्मक मंदिरों का निर्माण कराया था. क्योंकि उससे पहले केवल चट्टानों को काटकर ही मंदिरों को बनाया जाता था.
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