आजादी के बाद की सभी जनगणनाओं में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की आबादी की गणना की गई, लेकिन ओबीसी की नहीं.
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लखनऊ: जनता दल (यूनाइटेड) के बाद भाजपा की एक और सहयोगी पार्टी अपना दल (सोनेलाल) ने जाति आधारित जनगणना व अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए अलग केंद्रीय मंत्रालय बनाने की मांग उठाई है. अपना दल (एस) ने यह मांग ऐसे समय की है जब उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और विपक्षी पार्टियां भी इस मुद्दे पर मुखर हैं. यूपी में मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा ओबीसी वर्ग का है.
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अपना दल (एस) के कार्यकारी अध्यक्ष आशीष पटेल ने कहा, ''जाति आधारित जनगणना प्रत्येक वर्ग, विशेष रूप से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की सटीक आबादी का पता लगाने के लिए समय की जरूरत है. आजादी के बाद की सभी जनगणनाओं में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की आबादी की गणना की गई, लेकिन ओबीसी की नहीं.'' आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एससी-एसटी की गणना होती रही है, लेकिन इसे कभी प्रकाशित नहीं किया गया.
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आशीष पटेल ने कहा कि देश में ओबीसी वर्ग की आबादी कितनी है इसका कोई विश्वसनीय आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. इसलिए, मैं केंद्र सरकार से अनुरोध करता हूं कि अगली जनगणना जाति-आधारित होनी चाहिए ताकि प्रत्येक वर्ग, विशेष रूप से ओबीसी की सटीक आबादी का पता लगाया जा सके. इससे यह सुनिश्चित होगा कि एक विशेष जाति वर्ग का हिस्सा, उनकी आबादी पर आधारित हो. उन्होंने ओबीसी कल्याण के लिए एक अलग केंद्रीय मंत्रालय की मांग की.
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आशीष पटेल ने कहा, ''केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की तर्ज पर ओबीसी के कल्याण के लिए एक अलग और समर्पित मंत्रालय होना चाहिए.'' आपको बता दें कि अपना दल (एस) 2014 से राजग के साथ है. पार्टी के संस्थापक सोनेलाल पटेल की बेटी अनुप्रिया पटेल को नरेंद्र मोदी सरकार के हालिया मंत्रिपरिषद विस्तार में केंद्रीय मंत्री बनाया गया था. वह कुर्मी जाति से हैं जो ओबीसी वर्ग में आती है. उत्तर प्रदेश की लगभग 50 विधानसभा सीटों पर उनकी पार्टी का प्रभाव है, जो ज्यादातर पूर्वी उत्तर प्रदेश में हैं.
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राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने इस साल अप्रैल में भारत सरकार से 'राष्ट्रीय जनगणना 2021' के तहत ओबीसी की आबादी पर आंकड़े एकत्र करने का आग्रह किया था. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2018 में 2021 की जनगणना में पहली बार ओबीसी पर आंकड़े एकत्र करने की परिकल्पना की थी. हालांकि गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने इस साल 10 मार्च को राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा था कि स्वतंत्रता के बाद भारत ने नीतिगत रूप से यह निर्णय लिया था कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा अन्य किसी आबादी की जातिवार गणना नहीं की जाएगी.
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