हो चुका है कोरोना? तो वैक्सीन की एक ही डोज़ काफी: स्टडी में दावा
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हो चुका है कोरोना? तो वैक्सीन की एक ही डोज़ काफी: स्टडी में दावा

जब किसी को कोरोना का संक्रमण होता है तो शरीर उससे लड़ने के लिए प्रतिरोधक क्षमता तैयार करता है, यानी एंटीबॉडी बनाता है. एंटीबॉडी बनाने की यह प्रक्रिया व्यक्ति की मेमोरी में दर्ज हो जाती है...

हो चुका है कोरोना? तो वैक्सीन की एक ही डोज़ काफी: स्टडी में दावा

नई दिल्ली: अगर आपको कोरोना का इंफेक्शन हो चुका है और आप इस उलझन में हैं कि क्या आपको वैक्सीन लगवानी चाहिए या नहीं? तो इसका जवाब है कि अगर आपने एक डोज़ भी लगवा ली है तो आप दो डोज लगे हुए व्यक्ति जितने या उससे भी ज्यादा सुरक्षित हैं. यह हम नहीं कर रहे, बल्कि Infectious disease journal में प्रकाशित एक स्टडी में यह दावा किया गया है.

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260 हेल्थ केयर वर्कर्स पर हुई स्टडी
दरअसल, हैदराबाद के AIG HOSPITAL में हुई एक स्टडी के आधार पर रिसर्चर्स का दावा है कि कोविड इंफेक्टेड लोगों को वैक्सीन की एक डोज भी काफी सुरक्षा देती है. दरअसल, अस्पताल ने 260 हेल्थ केयर वर्कर्स पर एक स्टडी की है. इन सभी वर्कर्स को 16 जनवरी से 5 फरवरी के बीच कोवीशील्ड वैक्सीन की एक डोज लगी थी. स्टडी में ये देखा जा रहा था कि बीमारी होने पर मेमोरी सेल्स कितनी इम्यूनटी पैदा कर सकते हैं. जानें नतीजों में क्या सामने आया...

ऐसे लोगों में मेमोरी सेल्स ने ज्यादा इम्यूनिटी पैदा की
रिजल्ट में पाया गया कि जिन लोगों को वैक्सीन लगने से पहले कभी कोविड का इंफेक्शन हो चुका था, उनमें एक डोज से ही काफी Antibody बन गईं. जबकि, जिन्हें कभी कोरोना नहीं हुआ था, उनमें एंटीबॉडी कम बनीं.

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यह होता है मेमोरी सेल्स का काम
आसान भाषा में इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि जब किसी को कोरोना का संक्रमण होता है तो शरीर उससे लड़ने के लिए प्रतिरोधक क्षमता तैयार करता है, यानी एंटीबॉडी बनाता है. एंटीबॉडी बनाने की यह प्रक्रिया व्यक्ति की मेमोरी में दर्ज हो जाती है. ऐसे में अगर कभी दोबारा इंफेक्शन हो तो यह मेमोरी सेल फिर से सक्रिय हो जाते हैं और तेजी से एंटीबॉडी बना पाते हैं.

वैक्सीन लगने के बाद भी मेमोरी सेल्स होते हैं एक्टिव
वैक्सीन लगने के बाद भी इसी तरह मेमोरी सेल सक्रिय होते हैं. लेकिन नेचुरल इंफेक्शन की सूरत में इस प्रक्रिया में ज्यादा तेजी आती है. वैक्सीन लगने को आप एंटीबॉडी बनाने की कृत्रिम यानी आर्टिफिशियल प्रक्रिया भी कह सकते हैं. इस आधार पर यह नतीजा निकाला गया कि अगर कोरोना संक्रमण के बाद 3 से 6 महीने के अंदर एक डोज भी लग जाती है तो वह दो डोज के बराबर सुरक्षा देने में सक्षम है.

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हो सकती है वैक्सीन की कमी की भरपाई
डॉ. डी. नागेश्वर रेड्डी, चेयरमैन, एआईजी अस्पताल, के मुताबिक इस तरह से वैक्सीन की किल्लत भी दूर की जा सकती है. उनका कहना है कि ऐसा कर के कम-से-कम 3 करोड़ डोज बचाई जा सकती हैं. हालांकि, उनका मानना है कि एक बार अगर इतनी जनसंख्या को वैक्सीन लग जाए कि भारत में हर्ड इम्यूनिटी आ जाए, तो फिर ऐसे लोगों को भी दूसरी डोज लगाने के बारे में सोचा जा सकता है, जिन्हें एक डोज लगाकर सुरक्षा मिल गई है.

AIIMS ने भी कही थी यह बात
एम्स अस्पताल के रिसर्च र भी यह बात कह चुके हैं कि अगर किसी व्यक्ति को कोरोनावायरस का इंफेक्शन हो चुका है तो उससे बनने वाली एंटीबॉडी किसी भी वैक्सीन के मुकाबले ज्यादा मजबूत होती है. इस रिसर्च के बाद इस बात पर विचार किए जाने की जरूरत है कि क्या कोरोना हो चुके व्यक्ति के लिए वैक्सीन का प्रोटोकॉल बदला जाना चाहिए?

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