हरिद्वार कुंभ 2021: मुंडन, पिण्डदान, 108 डुबकियां और पांच संस्कारों के बाद 200 महिलाएं बनेंगी नागा संन्यासी
Advertisement

हरिद्वार कुंभ 2021: मुंडन, पिण्डदान, 108 डुबकियां और पांच संस्कारों के बाद 200 महिलाएं बनेंगी नागा संन्यासी

बुधवार को संन्यासियों के सबसे बड़े अखाड़े श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े के माईवाड़ा में करीब दो सौ महिला साधुओं को नागा संन्यासी बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई.

हरिद्वार कुंभ 2021: मुंडन, पिण्डदान, 108 डुबकियां और पांच संस्कारों के बाद 200 महिलाएं बनेंगी नागा संन्यासी

हरिद्वारः Haridwar Kumbh 2021: उत्तराखंड के हरिद्वार में इस वक्त कुंभ मेले का आयोजन हुआ है, इस दौरान मंगलवार को एक हजार से ज्यादा नागा संन्यासियों को दीक्षित किए जाने की प्रक्रिया को दो दिनों में संपन्न किया गया. अब बुधवार को संन्यासियों के सबसे बड़े अखाड़े श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े के माईवाड़ा में करीब दो सौ महिला साधुओं को नागा संन्यासी बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई.

बिड़ला घाट पर मुंडन संस्कार से शुरू हुई प्रक्रिया
सभी महिलाओं का बिड़ला घाट पर मुंडन संस्कार कर नागा संन्यासी बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई. मुंडन संस्कार के बाद पूरी प्रक्रिया के साथ गुरुवार सुबह नागा संन्यासी बनने का संकल्प संपूर्ण होगा. बताया गया है कि संन्यास दीक्षा में 5 संस्कारों का पालन करना होता है, उसके बाद ही सभी महिलाओं को नागा संन्यासी माना जाएगा.

यह भी पढ़ेंः- 2016 अर्धकुंभ में गुम हुई महिला 2021 कुंभ में मिली, पांच सालों में कर ली चारों धाम की यात्रा

जूना अखाड़े की अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष ने बताई कठिन प्रक्रिया
महिला नागा की दीक्षा के बारे में बताते हुए जूना अखाड़े की महिला अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आराधना गिरि ने कहा कि संन्यास दीक्षा में 5 तरह के संस्कार होंगे, जिनमें 5 गुरु बनाए जाएंगे. कुंभ पर्व के आते ही गंगा घाट पर मुंडन और पिण्डदान क्रियाक्रम के बाद रात को धर्मध्वजा के पास जाकर 'ओम नमः शिवाय' का जाप होगा. यहां आचार्य महामंडलेश्वर विजया होम के बाद संन्यास दीक्षा देंगे, तब जाकर उन्हें तन ढकने के लिए पौने दो मीटर का कपड़ा मिलेगा. अंत में सभी संन्यासियां गंगा मैया में 108 डुबकियां लगाएंगी, फिर अग्नी वस्त्र धारण करने के बाद गुरु का आशीर्वाद लेंगी.

'संन्यास दीक्षा के बाद संपूर्ण जीवन गुरु को समर्पित'
जूना अखाड़े की ही निर्माण मंत्री साधना गिरी ने बताया कि केश त्याग और पिंड दान के बाद महिलाओं को अपना सम्पूर्ण जीवन अपने अखाड़े, सम्प्रदाय और गुरु को समर्पित करना होगा. वहीं श्रीमहंत विशेश्वर ने बताया कि मनुष्य का एक जन्म अपनी मां के गर्भ में होता है तो दूसरा जन्म गुरु से दीक्षा लेने के बाद. संन्यास दीक्षा के बाद ही आत्मा और परमात्मा के मिलन को आप महसूस कर पाते हैं.

यह भी पढ़ेंः- एक ही लड़के से दो बहनों को हुआ प्यार, दोनों शादी किए बिना मानने को नहीं तैयार

यह भी पढ़ेंः- शादी सीजन से पहले बढ़ीं सोने-चांदी की कीमतें, यहां जानें UP के 6 बड़े शहरों में क्या है दाम

WATCH LIVE TV

Trending news