फ्रेश रहने के लिए हम रोज स्नान करते हैं. साबुन के इस्तेमाल से हम और ताजगी महसूस करते हैं. लेकिन अगर साबुन का चयन गलत हो जाए, तो हमारी स्किन के लिए नुकसानदेह हो सकती है.
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नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने सोमवार को यमुना नदी में प्रदूषण को रोकने के लिए अधोमानक यानी सब स्टैंडर्ड साबुन व डिटर्जेंट की बिक्री, भंडारण, परिवहन और विपणन पर बैन लगा दिया. इस फैसले के बाद यूपी में भी मानकों के अनुरूप नहीं पाए जाने वाले साबुनों पर रोक लगाने की मांग उठने लगी है. ऐसे में लोगों के मन में ये सवाल उठ रहा हैं कि ये हमें कैसे साबुन का इस्तेमाल करना चाहिए? कहीं उनका साबुन उनके लिए गलत तो नहीं है?
फ्रेश रहने के लिए हम रोज स्नान करते हैं. साबुन के इस्तेमाल से हम और ताजगी महसूस करते हैं. लेकिन अगर साबुन का चयन गलत हो जाए, तो हमारी स्किन के लिए नुकसानदेह हो सकती है. अक्सर हम अपने साबुन उसके विज्ञापन को देखकर खरीदते हैं. बिना ये जाने कि क्या वाकई वो साबुन हमारी त्वचा के लिए सही है या नहीं. हम उसमें इस्तेमाल किए गए तत्वों को भी नहीं देखते हैं. ना ही उसकी TFM वैल्यू चेक करते हैं. ऐसे में हम नहाने के लिए Toilet Soap या फिर Carbolic Soap खरीद लाते हैं. कई साबुनों में जानवरों की चर्बी भी मिली होती है. इन सभी बातों से अनजान लोग साबुन खरीद लेते हैं.
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कितने प्रकार के साबुन होते हैं ?
साबुन दो प्रकार के होते हैं. रासायनिक और आयुर्वेदिक या हर्बल. हमारे देश में बहुत कम ऐसे साबुन हैं, जिन्हें बाथिंग सोप का दर्जा मिला हुआ है. ज्यादातर टॉयलेट सोप ही मिलते हैं. बाथिंग सोप में कभी भी टॉयलेट सोप नहीं लिखा होता है. इसलिए अगर आप नहाने के लिए साबुन खरीद रहे हैं, तो इस बात का ध्यान रखें कि हम वही साबुन लें जिनपर Toilet Soap ना लिखा हो. इसके अलावा सभी साबुन के पैकेट पर उसकी TFM वैल्यू लिखी होती है. आइये जानते है साबुन के पैकेजिंग में और क्या-क्या लिखा होता है, जिसे देखना जरूरी है.
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क्या होता है TFM?
हर समान की गुणवत्ता को मापने के लिए अलग-अलग पैरामीटर होता है. उन पैरामीटर का कोई नाम और value दी गई हैं. जैसे दूध की गुणवत्ता को मापने के लिए लैक्टोमीटर शब्द का इस्तेमाल किया जाता है. ठीक उसी तरह साबुन की गुणवत्ता जांच करने के लिए TFM इस्तेमाल किया जाता हैं. इसके जरिए हम उसमें इस्तेमाल किए गए chemical की मात्रा का पता लगा सकते हैं. जिस साबुन में TFM का परसेंटेज जितना ज्यादा होगा, उस साबुन की क्वालिटी उतनी अच्छी होगी.
TFM मुख्यतः तीन GRADE में बंटे हैं.
GRADE-1 :-75% से 80% तक
GRADE-2 :-65% से 75% तक
GRADE-3 :-50% से 60% तक
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नहाने के लिए किस ग्रेड के साबुन का इस्तेमाल करें ?
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, नहाने के लिए केवल बाथिंग सोप का ही इस्तेमाल करना चाहिए. ऐसे साबुनों में TFM की मात्रा 75% से ज्यादा होती है. इन्हें ग्रेड- 1 की श्रेणी में रखा जाता है. इनके इस्तेमाल से हमारे स्किन को कम नुकसान होता है.
ग्रेड 2 में आते हैं ये साबुन
क्वालिटी के आधार पर Toilet Soaps को ग्रेड- 2 में रखा जाता है. भारत में अधिकतर लोग इसी श्रेणी के साबुनों का इस्तेमाल करते हैं. इन साबुनों में 65% से 75% तक TFM होता है. ये साबुन शौच इत्यादि के बाद हाथ धोने के लिए बने होते हैं. ताकि ये कीटाणुओं को मार सकें. कार्बोलिक साबुन की तुलना में इनके इस्तेमाल से त्वचा को कम नुकसान होता है.
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ग्रेड 3 में आते हैं ये साबुन
Carbolic Soap को ग्रेड 3 में रखा जाता है. इनमें50% से 60% तक TFM की मात्रा मौजूद होती है. इन साबुनों में फिनायल भी मिला होता है. इसका उपयोग फर्श या जानवरों के शरीर के कीड़े मारने में इस्तेमाल किया जाता है. यूरोपीय देशों में इसे एनिमल सोप कहते हैं. ऐसे में इन साबुनों का इस्तेमाल हमारी स्किन के लिए बेहद हानिकारक है.
रासायनिक साबुन होते हैं नुकसानदायक
साबुन में खुशबू और रंग के लिए अलग-अलग तरह के chemical का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं, झाग बनने के लिए साबुन में सोडियम लारेल सल्फेट का इस्तेमाल होता है. इन केमिक्लस के इस्तेमाल से आपकी स्किन सेल्स ड्राई हो जाती है. जो धीरे-धीरे डेड हो जाती हैं. इससे शरीर पर खुजली, दाद जैसी कई स्किन रिलेटेड परेशानी बढ़ जाती हैं. रासायनिक साबुन आंखों के लिए भी नुकसानदेह होते हैं. त्वचा रोग विशेषज्ञों की मानें तो कोई भी रासायनिक साबुन स्किन के लिए अच्छा नहीं होता. हालांकि, ज्यादातक साबुनों में केमिकल्स का इस्तेमाल होता है.
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कैसे पता करें जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल हुआ है या नहीं
कई साबुनों को बनाने में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में आप यह पता कर सकते हैं कि आपके साबुन में भी चर्बी का इस्तेमाल किया गया है या नहीं. साबुन के पैकेट में एक शब्द लिखा होता है Tallow. अगर आपके साबुन में भी टैलो छपा है, तो इसका मतलब उस साबुन में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया है.
ज्यादातर डॉक्टर ‘साबुन फ्री क्लिंजर’ इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं. यह त्वचा को बगैर नुकसान पहुंचाए उसकी सफाई करता है. इसके अलावा आप चाहें तो किसी त्वचा रोग विशेषज्ञ की सलाह से भी साबुन का चुनाव कर सकते हैं.
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