'श्रीफल' के बिना पूजा रहती है अधूरी, जानिए महिलाएं क्यों नहीं फोड़तीं नारियल ?
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'श्रीफल' के बिना पूजा रहती है अधूरी, जानिए महिलाएं क्यों नहीं फोड़तीं नारियल ?

धार्मिक शास्त्रों के मुताबिक कहा जाता है कि विष्णु भगवान पृथ्वी पर अवतरित होते समय मां लक्ष्मी के साथ नारियल का वृक्ष और कामधेनु दोनों को अपने साथ लाए थे, इसलिए ये भगवान को अति प्रिय है.

साभार-सोशल मीडिया

हिंदु धर्म में पूजा पाठ लेकर किसी भी नए या मांगलिक कार्य में भी नारियल का महत्व काफी अधिक है. किसी भी नए काम की शुरुआत नारियल चढ़ाकर या फिर नारियल फोड़ कर ही की जाती है. नारियल को श्रीफल भी कहा जाता है और श्री का संबोधन माता लक्ष्मी के लिए किया जाता है. इसका कारण ये है कि नारियल देवी लक्ष्मी को सबसे प्रिय है. 

  1. नारियल के बिना नहीं होती पूजा पूरी
  2. महिलाएं को इसे तोड़ना क्यों है मना?
  3. मान्यता के मुताबिक नारियल के साथ प्रकट हुए थे भगवान विष्णु

ऐसा कहा जाता है की नारियल का भोग भगवान ग्रहण करते हैं और प्रसन्न होकर भक्तों को आशीर्वाद देते हैं. नारियल पूजा में कहीं जटा वाला होता है तो कहीं बिना जटा वाला भी. यहां तक की प्रसाद स्वरूप भी नारियल का बहुत महत्व होता है. क्या आप जानते हैं कि धार्मिक कार्यों में नारियल को इतना महत्व क्यों दिया जाता है. इस रिपोर्ट में हम आपको ये बताने की कोशिश करेंगे. नारियल का फल चढ़़ाने के पीछे कई तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं. 

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नारियल में त्रिदेव का वास माना गया है
नारियल को बहुत पवित्र और शुद्ध माना गया है, क्योंकि इसमें त्रिदेव का वास माना गया है. ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों ही नारियल में विराजते हैं और यही कारण है कि कोई भी पूजा हो उसमें नारियल का होना जरूरी होता है.

नारियल के साथ प्रकट हुए थे भगवान विष्णु
धार्मिक शास्त्रों के मुताबिक कहा जाता है कि विष्णु भगवान पृथ्वी पर अवतरित होते समय मां लक्ष्मी के साथ नारियल का वृक्ष और कामधेनु दोनों को अपने साथ लाए थे, इसलिए ये भगवान को अति प्रिय है.

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विश्वामित्र ने तैयार किया था नारियल
धर्म शास्त्रों की मानें तो ऐसा कहा जाता है की नारियल को मानव के रूप में विश्वामित्र ने तैयार किया था. एक बार वे इन्द्र से रुष्ट हो गए और दूसरे स्वर्ग लोक का निर्माण करने लगे. उसके बाद उनका मन बदला और वो दूसरी सृष्टि का ही निर्माण करने लगे. तब उन्होंने मानव के रूप में नारियल का निर्माण किया. इसीलिए नारियल के खोल पर बाहर दो आंखें और एक मुख जैसी रचना होती है.

इसके अलावा कुछ विद्वानों का मत है कि नारियल ही वो कल्पवृक्ष है जिसका जिक्र अक्सर शास्त्रों में मिलता है. कल्पवृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है. इसलिए इस वृक्ष का फल भगवान को अति प्रिय होता है और इसे चढ़ाने से भगवान प्रसन्न होते हैं. 

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नारियल को माना जाता है नर का प्रतीक
हिंदू धर्म में कई तरह की परंपराएं प्राचीन काल से चली आ रही हैं. इन्हीं में से एक परंपरा नरबलि की भी है. माना जाता है कि पुराने समय में साधक अपनी साधना पूरी करने के लिए और अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए नर बलि देते थे. बाद में इस प्रथा को बंद कर दिया गया और नर की जगह नारियल की बलि दी जाने लगी क्योंकि नारियल को नर का प्रतीक माना जाता है. 

महिलाएं क्यों नहीं तोड़ती नारियल, जानें
पूजा के बाद नारियल को तोड़ा जाता है और फिर प्रसाद के स्वरूप में इसे बांटा जाता है. आपने देखा होगा या सुना होगा की महिलाएं नरियल नहीं फोड़तीं है. ऐसा करना निषेध बताया गया है. मान्यताओं की मानें तो ऐसा इसलिए है क्योंकि महिलाएं परिवार के वंश को आगे बढ़ाती है और नारियल को बीज माना गया है. इसलिए यदि महिलाएं इसे फोड़तीं हैं तो वंश का नाश होता है. इसलिए नारियल केवल पुरुष ही तोड़ सकते हैं.

नारियल के लाभ
नारियल को घर में ऱखना शुभ माना जाता है. नारियल का उपयोग स्वास्थ्य लाभ, औषधीय उपयोग, और पोषण तत्वों की कमी को पूरा करने के खानपान में भी किया जाता है. नारियल से आपके बाल भी काले और घने होते हैं इसके अलावा नारियल के प्रयोग से आपकी त्वचा में चमक भी उत्पन्न होती है.

डिस्क्लेमर- इस लेख में दी गई तमाम जानकारी सामान्य जानकारी और शास्त्रों से जुड़ी बातों के आधार पर लिखी गई है. तमाम जानकारियों को सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है. 

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