महज 10 रुपये खर्च करने पर चला 50-60 करोड़ की रियासत की प्रॉपर्टी का पता
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महज 10 रुपये खर्च करने पर चला 50-60 करोड़ की रियासत की प्रॉपर्टी का पता

साल 1928 में ओयल रियासत जनपद खीरी के तत्कालीन राजा ने अपने महल को किराए पर दिया था. महल 30 सालों के लिए किराए पर दिया गया था. दर दर की ठोकरें खाकर इस फैमिली को RTI के जरिए अपनी करोड़ो की प्रॉपर्टी का पता चला.

महज 10 रुपये खर्च करने पर चला 50-60 करोड़ की रियासत की प्रॉपर्टी का पता

लखनऊ: अपने वंशजों और उनकी संपत्ति के बारे में जानने के लिए एक परिवार दर-दर भटकता रहा, सरकारी ऑफिसों के चक्कर लगाने पड़े, दस्तावेजों को ढूंढ़ने के लिए पीढ़ियां परेशान रहीं. लेकिन अब सालों से चली आ रही उनकी परेशानियां खत्म हो गई वो भी महज 10 रुपये खर्च करने के बाद. जी हां सूचना के अधिकार के बारे में तो आपने सुना ही होगा. इसके जरिए इस परिवार ने अपनी Property के दस्तावेज को ढूंढ निकाला.

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RTI से लगा 50 से 60 करोड़ रुपये की संपत्ति का पता
दरअसल खीरी जिले के ओयल सियासत के वंशज अपने पूर्वेजों के प्रॉपर्टी से संबंधित दस्तावेज को पाने के लिए कई सालों से लगे हुए थे. RTI के जरिए मिले दस्तावेजों के मुताबिक 93 साल पुरानी प्रॉपर्टी की कीमत करीब 50 से 60 करोड़ रुपये बताई जा रही है. 

ओयल रियासत ने दिया था किराए पर महल
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 1928 में ओयल रियासत जनपद खीरी के तत्कालीन राजा ने अपने महल को किराए पर दिया था. महल 30 सालों के लिए किराए पर दिया गया था. जब हमारा देश आजाद हुआ तब ये मियाद बढ़ाकर आगे और 30 साल के लिए खिसका दी गई. मतलब 30 साल के बाद फिर से 30 साल के लिए महल को किराए पर दिया गया.

RTI एक्टिविस्ट ने सुझाया रास्ता
खबरों की मानें तो जब राजा युवराज का निधन 1984 में हुआ, तब ओयल फैमिली ने अपने पुश्तैनी महल के दस्तावेजों की खोज करना शुरू कर दिया. काफी खोजबीन करने के बाद भी महल से संबंधित दस्तावेज नहीं मिले. इसके बाद राजा युवराज दत्त के बेटे के बेटे यानी युवराज के पोते कुंवर प्रद्यु्म्न नारायण दत्त सिंह ने एक आरटीआई एक्टिविस्ट (RTI Activist) को अपनी पुश्तैनी संपत्ति से जुड़ी परेशानी बताई. जिसके बाद RTI एक्टिविस्ट ने 28 अगस्त 2019 को चार अलग-अलग RTI डीएम, कमिश्नर, वित्त विभाग और राजस्व परिषद को पार्टी बनाकर दर्ज कीं. इसके बाद सभी RTI लखीमपुर को ट्रांसफर हो गईं. 

27 मार्च 2020 को इन RTI पर जवाब आया. जिसमे बताया कि कि उनकी संपत्ति का खाता संख्या 5 और खसरा 359 हैं. बस इस आरटीआई (RTI) ने कमाल कर दिया और सालों से भटक रही ओयल फैमिली को अपने पूर्वेजों के अभिलेख से संबंधित जानकारी दे दी.  

क्या है सूचना का अधिकार (Right To Information)
आम आदमी के हाथ में एक ऐसी ताकत है जिसके जरिए हम सरकार से सब कुछ जान सकते हैं. वो है सूचना का अधिकार यानी Right to Information. इस अधिकार का इस्तेमाल करके हम हर जानकारी हासिल कर सकते हैं वो भी महज 10 रुपये में. सरकार ने देसवासियों को एक पावर दी हुई है, जिसे हम सूचना का अधिकार या Right to Information के नाम से जानते हैं. यह अधिकार अमीर-गरीब से परे हर देशवासी के पास साल 2005 से ही है. इसके तहत हम सरकार के किसी भी विभाग से किसी भी तरह की सूचना मांग सकते हैं. 

भारतीय संसद ने भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और सरकारी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए साल 2005 में सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून बनाया था. इस कानून  के तहत भारत का कोई भी नागरिक सरकार के किसी भी विभाग की जानकारी हासिल कर सकता है. आरटीआई हाथ से लिखकर या टाइप करके या फिर ऑनलाइन लगाई जा सकती है. सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा 7 में प्रावधान किया गया है कि कोई  भी सूचना 30 दिन के अंदर जी जाएगी. इसके अलावा अगर कोई सूचना  किसी व्यक्ति के जीवन या स्वतंत्रता से संबंधित है तो उसको 48 घंटे के अदर सूचना प्रदान की जाएगी.

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