राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में बताया कि उनकी इच्छा थी कि वे पूरा कानपुर देहात घूम सकें. ट्रेन से सफर करने पर उनकी यह इच्छा पूरी हो गई.
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कानपुर: उत्तर प्रदेश के कानपुर में राष्ट्रपति का आज दूसरा दिन है. वे अपने शहरवासियों से और अपनों से मिलकर जितने खुश हैं, उतने ही भावविभोर आमजन भी हैं. बता देंष दिल्ली से स्पेशल प्रेसिडेंशियल ट्रेन से प्रेसिडेंट झींझक और रूरा रेलवे स्टेशन पहुंचे थे. उस समय वे सबसे मिले और सबको अपनेपन का अहसास करा दिया. उन्होंने लोगों से कहा कि आप सबसे मिलने का बहुत मन करता है, लेकिन समय के अभाव की वजह से ऐसा नहीं हो पाता. राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि वह भले ही देश के फर्स्ट सिटिजन हैं, लेकिन हमेशा की तरह उनके अपने हैं.
बचपन की बातें आईं याद
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद परौंख गांव में बड़े हुए और प्राइमरी एजुकेशन वहीं से हासिल की. इसके बाद वे झींझक के खानपुर में पढ़ने लगे. झींझक स्टेशन को देखकर उनकी बचपन की यादें ताजा हो गईं. उन्होंने बताया कि स्टेशन की इन्हीं कुर्सियों पर बैठकर वे ट्रेन का इंतजार किया करते थे. उस जगह पर बिताया हर एक पल उन्हें अच्छे से याद है. राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा कि आज वह जिस भी मुकाम पर पहुंचे हैं, उसमें कानपुर देहात का योददान है.
पूरा कानपुर देहात घूमने की थी इच्छा
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में बताया कि उनकी इच्छा थी कि वे पूरा कानपुर देहात घूम सकें. ट्रेन से सफर करने पर उनकी यह इच्छा पूरी हो गई. राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद 27 जून को परौंख और पुखरायां जाएंगे और इसी के साथ सिकंदरा और भोगनीपुर विधानसभा का भ्रमण भी हो जाएगा. उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि पूरे कानपुर देहात का भ्रमण कर लिया है. यह सुन लोगों ने भी खुशी से तालियां बजाईं.
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भाभी के साथ किया छोटा सा मजाक
झींझक स्टेशन पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद अपने भाई, भाई, भतीजे और भतीजी से भी मिले. मुलातात करते ही वे मजाक के मूड में आए और भाभी की चुटकी ले ली. उन्होंने कहा "भाभी आजकल अखबारों में बहुत छप रही हो". इसपर दोनों लोग हंस पड़े. विद्यावती ने मीडिया को बताया कि लल्ला हमेशा से ही हंसी-मजाक किया करते थे. आज भी वह वैसे ही हैं. इसके बाद उन्होंने अपनी भतीजी हेमलता से हालचाल लिए.
नहीं खा सके भाभी के हाथ के पेड़े
बताया जा रहा है कि भाभी विद्यावती उनके लिए अपने हाथ से बने पेड़े लेकर आई थीं, लेकिन सेफ्टी प्रोटोकॉल की वजह से उन्हें दे नहीं सकीं. यह भी बताया जाता है कि राष्ट्रपति कोविंद को उनकी भाभी द्वारा बनाए गए पेड़े बहुत पसंद हैं.
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