Laddu Holi Barsana 2021: आज बरसाना में बरसेंगे लड्डू, जानें कैसे शुरू हुई ये परंपरा
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Laddu Holi Barsana 2021: आज बरसाना में बरसेंगे लड्डू, जानें कैसे शुरू हुई ये परंपरा

देश-विदेश से कई लोग यहां की अनोखी होली को देखने के लिए आते हैं. लड्डू होली, फूलों की होली, लट्ठमार होली से लेकर रंगों वाली होली तक कई तरह से होली मनाई जाती है. बता दें कि ब्रज में होली डेढ़ महीने तक मनाई जाती है.

फाइल फोटो

मथुरा: बरसाना, मथुरा, गोकुल और वृंदावन ये हैं ब्रज के वो इलाके जहां की होली को देखने के लिए दुनिया भर से लोग आते हैं. यहां पर होलाष्टक शुरू होने के दिन से ही होली खेलना शुरू हो जाता है. हर साल की तरह भगवान कृष्ण की जन्मभूमि ब्रज में पहले से ही होली मनानी शुरू हो गई है. यहां पर पूरे जोर शोर और धूमधाम से होली मनाई जाती है. 

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देश-विदेश से कई लोग यहां की अनोखी होली को देखने के लिए आते हैं. लड्डू होली, फूलों की होली, लट्ठमार होली से लेकर रंगों वाली होली तक कई तरह से होली मनाई जाती है. बता दें कि ब्रज में होली डेढ़ महीने तक मनाई जाती है.

बरसाना में लड्डू मार होली
ब्रज की पहली होली आज यानी 22 मार्च से शुरू हो गई है. इस दिन राधे रानी के गांव बरसाना में लड्डू से होली खेली जा रही है. लड्डू होली के बाद 23 मार्च को बरसाना गांव में नंदगांव के हुरयारों संग बरसाना की हुरयारिन लठमार होली खेल रही हैं. 24 मार्च को नंदगांव में लठमार होली का आयोजन किया जाएगा. 25 मार्च को बांके बिहारी मंदिर में फूलों वाली होली और रंगभरनी होली मनाई जाएगी.

कब शुरू हुई लड्डू मार होली खेलने की परंपरा?
लड्डू  होली की परंपरा के पीछे एक पौराणिक कथा है, कहा जाता है कि द्वापर युग में बरसाने की होली खेलने का न्यौते लेकर सखियों को नंदगांव भेजा गया था. राधारानी के पिता वृषभानुजी के न्यौते को कान्हा के पिता नंद बाबा ने स्वीकार किया और स्वीकृति का एक पत्र, एक पंडा (जिसको पुरोहित भी कहते हैं) उनके हाथ बरसाना भेजा. बरसाने में वृषभानजी ने नंदगांव से आए  पंडे का स्वागत किया और थाल में लड्डू खाने को दिए. इसी बीच बरसाने की गोपियों ने पंडे को गुलाल लगा दिया. और बस फिर क्या था पंडे ने भी गोपियों को लड्डूओं से मारना शुरू कर दिया. इस प्रकार लड्डू मार होली की परंपरा बरसाने में शुरू हुई. इस परंपरा को आज तक बरसाने और  नंदगाव के लो निभाते चले आ रहे हैं.

देश विदेश से यहां आते हैं श्रद्धालु
लड्डू होली को देखने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं और लड्डू प्रसाद पाकर स्वयं को धन्य भी मानते हैं. लड्डू होली के अगले दिन नंदगांव के हुरियारे बरसाना में लठामार होली खेलने आते हैं.

राधा-कृष्ण के प्रेम का प्रतीक
बरसाना की महिलाएं लठमार होली की तैयारियों को लेकर एक महीने पहले से ही जुट जाती हैं. लठमार होली के लिए  महिलाएं लाठियां तैयार करती हैं. साथ ही होली खेलने के लिए दूध दही माखन का भी सेवन करती हैं और लाठियों को तेल में भिगोकर रखती हैं. महिलाओं का कहना है कि यहां लठमार होली राधा कृष्ण के प्रेम का प्रतीक है.

होली देखने के लिए देशभर से पहुंच रहे लोग
इस होली को देखने के लिए देश भर से लोग बरसाना पहुंच रहे हैं. और बरसाना के रंगीली महल में राधे के भजनों में सराबोर दिख रहे हैं. राधे-राधे के जयकारों के साथ राधा और कृष्ण के प्रेम का अनूठा संगम बृज की होली सभी को अपनी ओर आकर्षित कर रही है. लोग इस मौके को अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहते हैं. यही ब्रज की अनूठी होली है, जहां पर प्रेम और सौहार्द का विहंगम दृश्य आपको देखने को मिलता है.

साल भर लोग ब्रज की इस पावन होली का इंतजार करते हैं. बरसाना में होली के रंग बिखरे दिखाई देने लगे हैं. यहां हर वर्ग के लोग मौजूद हैं. चाहे बच्चा हो युवा या बुजुर्ग हर कोई राधा रानी के सामने अपनी हाजिरी लगाने के लिए बरसाना पहुंच रहा है.

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