दिव्यांग टीचर ने बदल दी स्कूल की तस्वीर, टीचरों की कमी हुई तो दीवारों पर लिखवा दिया किताबों का सिलेबस
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दिव्यांग टीचर ने बदल दी स्कूल की तस्वीर, टीचरों की कमी हुई तो दीवारों पर लिखवा दिया किताबों का सिलेबस

उत्तर प्रदेश के संभल जिले में एक दिव्यांग महिला शिक्षक ने अपने जज्बे से बदहाल स्कूल की तस्वीर बदलकर मिसाल पेश की है.

दिव्यांग महिला टीचर रीनू बंसल.

सुनील सिंह/संभल: बाधाएं कितनी ही मुश्किल क्यों न हों, कुछ करने का जज्बा है तो नामुमकिन भी मुमकिन हो जाता है. उत्तर प्रदेश के संभल जिले में एक दिव्यांग महिला शिक्षक ने अपने जज्बे से बदहाल स्कूल की तस्वीर बदलकर मिसाल पेश की है.

लॉकडाउन में किया नया प्रयोग
दिव्यांग रीनू बंसल संभल के चंदौसी तहसील के कैथल गांव के प्राथमिक स्कूल में प्रधान अध्यापिका हैं. इस सरकारी प्राथमिक स्कूल की हालत लॉकडाउन से पहले काफी बदहाल थी. स्कूल में शिक्षकों की कमी के साथ ही स्कूल की बिल्डिंग भी जर्जर हालत में थी. जिसकी वजह से बच्चों की पढ़ाई सुचारू तौर पर नहीं हो पा रही थी. उन्होंने कोरोना लॉकडाउन में एक नया प्रयोग किया, जिसकी वजह से बच्चे खेल-खेल में ज्यादा सीखने लगे.

बदल दी स्कूल की तस्वीर
दिव्यांग टीचर रीनू बंसल ने स्कूल में टीचर्स की कमी के विकल्प और बच्चों को खेल-खेल में शिक्षा के लिए स्कूल के भवन और बदरंग दीवारों पर बच्चों के पाठ्यक्रम के चित्रों को पेण्ट कराकर स्कूल की तस्वीर ही बदल दी. खास बात यह है कि बदहाल स्कूल को सजाने और संवारने के लिए दिव्यांग टीचर ने सरकार से मिलने वाली धनराशि के साथ ही अपने निजी फंड से 2 लाख रुपये की धनराशि स्कूल के कायाकल्प पर खर्च की है.

स्मार्ट क्लास जैसी सभी सुविधाएं हैं मौजूद
प्राथमिक स्कूल में बच्चों के लिए स्मार्ट क्लास से लेकर वह सभी सुविधाएं मौजूद हैं जो कि प्राइवेट कॉन्वेंट स्कूल में होती हैं. उनके इस जज्बे और शिक्षकों की कमी के विकल्प के तौर स्कूल की दीवारों और फर्श पर बनाई गई तस्वीरों के जरिये बच्चों को शिक्षा देने के लिए जिले के शिक्षा अधिकारियों ने प्रधान अध्यापिका रीनू बंसल की सराहना कर उन्हें सम्मानित भी किया है. 

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