नई दिल्ली: दुनिया के कई बड़े देशों में कोरोना के मामले फिर बढ़ने लगे हैं. ब्रिटेन सहित कई देशों में शायद अब कोरोना की तीसरी लहर आ रही है. इसे देखते हुए भारत के कई बड़े हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि अनियोजित टीकाकरण (Unplanned Vaccination) से ऐसा हो सकता है कि म्यूटेंट स्ट्रेन को बढ़ावा मिल जाए. 


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वैक्सीनेशन प्रोसेस से संस्थानों को जोड़ें
ऐसे में विशेषज्ञों ने थर्ड वेव से लड़ने के लिए हेल्थ स्ट्रक्चर को और मजबूत कर वैक्सीनेशन प्रोसेस में गति बढ़ाने की अपील की है. उनका कहना है कि सरकार को प्रभावी कदम उठाते हुए देश के हर व्यक्ति का वैक्सीनेश करना चाहिए. रिपोर्ट में एक्सपर्ट्स कहते हैं कि संस्थान स्तर पर मुहिम छेड़ी जानी चाहिए ताकि अगर को टीका कराने से रह भी जाता है तो उसे भी वैक्सीनेट किया जा सके. इसके अलावा, दूसरी लहर में हमने देखा कि ऑक्सीजन की किल्लत हमपर भारी पड़ गई. ऐसे में हर अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट लगाए जाने जरूरी हैं. 


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अस्थाई अस्पताल न हटाए जाने की अपील
इतना ही नहीं, सरकार और प्रशासन ने कोरोना से लड़ने के लिए जो अस्थायी अस्पताल बनाए थे, उन्हें बिल्कुल न हटाएं. भविष्य में इनकी जरूरत पड़ सकती है.


डेल्टा वेरिएंट से वैक्सीनेटेड लोगों को भी खतरा
रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने बताया है कि कोरोना का जो डेल्टा वेरिएंट पाया गया है, वह उन लोगों को भी चपेट में ले रहा है, जिन्होंने टीका लगवा लिया था. नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) का दावा है कि टीका लगवा लेना कोरोना से सुरक्षा की गारंटी नहीं है. हां, टीकाकरण यह जरूर सुनिश्चित कर सकता है कि संक्रमण का असर गंभीर न हो. टीकाकरण से मृत्यु दर जरूर कम होगी.


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डेल्टा वेरिएंट से रहना होगा सावधान
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के चीफ एडवाइजर डॉ. एंथनी फासी ने कहा है कि कोरोना का डेल्टा वेरिएंट ज्यादा खतरनाक और संक्रामक है. उन्होंने बताया है कि सिर्फ अमेरिका ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को ही इस वेरिएंट से सावधान रहना होगा. जरा सी लापरवाही फिर से तबाही ला सकती है. मौजूदा समय में ब्रिटेन यह वैरिएंट तेजी से लोगों को चपेट में ले रहा है. डेल्टा वैरिएंट यानी B.1.617.2 भारत में ही सबसे पहले पाया गया था. इसलिए देश में यह फिर से एक्टिव और आक्रामक हो सकता है.


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